पूर्णिया में घरेलू विवाद के बाद महिला ने खाया जहर, हालत गंभीर, जीएमसीएच में भर्ती

पूर्णिया। बिहार के पूर्णिया जिले से एक चिंताजनक मामला सामने आया है, जहां पति-पत्नी के बीच हुए घरेलू विवाद के बाद पत्नी ने जहर खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। जहर खाने के बाद महिला की तबीयत बिगड़ने लगी, जिसके बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल महिला का इलाज पूर्णिया जीएमसीएच में जारी है, जहां डॉक्टरों की निगरानी में उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। यह घटना पूर्णिया जिले के कसबा थाना क्षेत्र के मोहनी गांव की है। जहर खाने वाली महिला की पहचान सरिता देवी (36) के रूप में हुई है, जो मोहनी गांव निवासी छोटे लाल उरांव की पत्नी है। छोटे लाल उरांव (40) पेशे से राजमिस्त्री का काम करता है और उसकी कमाई से ही घर चलता है। इस दंपत्ति के चार बच्चे भी हैं। परिजनों के अनुसार, छोटे लाल उरांव अपनी मेहनत की कमाई को जुआ खेलने और शराब पीने में उड़ा देता है। इस आदत को लेकर पति-पत्नी के बीच अक्सर विवाद होता रहता था। हर दिन की तरह, बीते शाम भी जब छोटे लाल ने अपनी पूरी कमाई शराब में खर्च कर दी, तो पत्नी ने इसका विरोध किया। इस पर पति ने झगड़ा शुरू कर दिया और विवाद इतना बढ़ गया कि गुस्से में आकर सरिता देवी ने जहर खा लिया। जहर खाने के बाद सरिता देवी की तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी। जब घरवालों को इस बात की जानकारी हुई, तो वे उसे तत्काल कसबा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) लेकर गए। वहां मौजूद डॉक्टरों ने महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे पूर्णिया जीएमसीएच रेफर कर दिया। पूर्णिया जीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टरों के मुताबिक, महिला ने बड़ी मात्रा में जहर खा लिया था, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई थी। हालांकि, समय पर इलाज मिलने के कारण अब वह खतरे से बाहर बताई जा रही है। फिलहाल डॉक्टरों की एक टीम उसकी निगरानी कर रही है और इलाज जारी है। यह घटना समाज में बढ़ते घरेलू विवादों और उनके दुष्परिणामों को दर्शाती है। पारिवारिक कलह, नशे की लत और आर्थिक तंगी के कारण कई परिवार टूटने की कगार पर पहुंच जाते हैं। खासतौर पर महिलाओं पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है, जो मानसिक तनाव में आकर आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर हो जाती हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए समाज को नशामुक्ति और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे शराब और जुए जैसी सामाजिक बुराइयों पर सख्त नियंत्रण करें। साथ ही, महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि वे किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या जैसा घातक कदम न उठाएं। सरिता देवी का मामला सिर्फ एक महिला की पीड़ा नहीं, बल्कि एक बड़े सामाजिक मुद्दे को उजागर करता है। परिवार में आपसी समझ और सहयोग की कमी, नशे की लत और आर्थिक अनिश्चितता मिलकर ऐसी घटनाओं को जन्म देती हैं। समाज को ऐसे मामलों से सबक लेते हुए समय रहते सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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