देश में सनातन को खत्म कर देगी इंडिया गठबंधन की सरकार, लागू होगा सरिया कानून : गिरिराज सिंह
पटना। कर्नाटक सरकार ने हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को वापस लेने की घोषणा की। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि राज्य में हिजाब पर कोई प्रभावी प्रतिबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि इस पर लगे प्रतिबंध जल्द ही वापल ले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि महिला अपनी इच्छानुसार कुछ भी पहन सकती है। उसके बाद अब इस फैसले को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कर्नाटक सरकार पर जोरदार हमला बोला है। गिरिराज सिंह ने कहा है कि – कांग्रेस भारत को इस्लामिक स्टेट बताने पर तूली हुई है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस की कर्नाटक सरकार ने हिजाब पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया है। उनका मकसद सिर्फ हिजाब पर से प्रतिबंध हटाना नहीं है। बल्कि सरिया कानून को स्थापित करनाहै। इंडी गठबंधन और राहुल गांधी की जहां भी सरकार बनेगी, वहां इस्लामी कानून और सरिया कानून लागू होगा। भाजपा कर्नाटक में सिद्धरमैया द्वारा हिजाब पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने का विरोध करती है। यह सनातन के खात्मे का सुनियोजित तरीका है। एक तरफ हलाल और दूसरी तरफ यह इस्लामी सरिया कानून गलत है। भारतीय जनता पार्टी जहां-जहां ऐसा होगा वहां विरोध करती रहेगी। इससे पहले मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि हिजाब पर अब कोई प्रतिबंध नहीं है। मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहन सकती हैं और कहीं भी जा सकती हैं। सीएम ने कहा, मैंने प्रतिबंध वाले आदेश वापस लेने का निर्देश दिया है। आप क्या पहनते हैं और क्या खाते हैं यह आपकी पसंद है। मैं आपको क्यों रोकूं। यह पूरा मामला फरवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में क्लासरूम के भीतर हिजाब पर बैन लगा दिया गया था। इसके बाद एक-एक कर कई शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाए गए थे। इसके बाद कर्नाटक की तत्कालीन बसवराज बोम्मई सरकार ने स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पर बैन लगाने के आदेश दिए थे।बोम्मई सरकार ने कहा था कि कोई भी परिधान जिससे समानता, सार्वजनिक कानून एवं व्यवस्था बाधित होगी, उसकी मंजूरी नहीं दी जाएगी। वहीं, सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में जमकर विरोध-प्रदर्शन हुआ था। साथ ही काफी विवाद भी हुआ था। अंत में यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया था, जिसके बाद इस मुद्दे पर काफी सियासत हुई थी। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जहां कोर्ट ने इस मामले में फैसला दिया था। कोर्ट की खंडपीठ ने चीफ जस्टिस से अनुरोध किया था कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा जाए। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।