विजय चौधरी धक्का मारकर लेना चाह रहे शिक्षक बहाली का श्रेय : चितरंजन गगन
पटना। राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि राज्य के वरिष्ठ मंत्री विजय कुमार चौधरी जबरदस्ती धक्का मारकर शिक्षक बहाली का श्रेय लेने की नापाक कोशिश कर रहे हैं। विजय चौधरी द्वारा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर घूसपैठ करके शिक्षक बहाली का श्रेय लेने का आरोप लगाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजद प्रवक्ता ने कहा कि हकीकत तो यही है कि बिहार में शिक्षकों की बहाली का पुरा श्रेय लेने का एक मात्र अधिकार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए के शासनकाल में शिक्षक बहाली के नाम पर वर्षों वर्ष तक केवल तमाशा होता रहा। इस बीच कितने टैलेंटेड नौजवानों की उम्र सीमा समाप्त हो गई। शिक्षक बहाली के नाम पर बार-बार नियमावली बदलती रही , आवेदन करने से लेकर परीक्षा लेने तक तिथियां बदलती रही। इतना हीं नहीं परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद भी बहाली रोक दी गई। इतना हीं नहीं जब सब कुछ हो गया तो कोई न कोई मामला उलझाकर न्यायालय के माध्यम से बहाली को फंसा दिया गया। चुंकि एनडीए सरकार शिक्षकों की बहाली करना हीं नहीं चाहती थी। वह विपक्षी दलों एवं छात्रों के दबाव में बहाली का केवल नाटक कर रही थी। राजद प्रवक्ता ने कहा कि जिस प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक की बहाली पर तेजस्वी यादव द्वारा श्रेय लिए जाने पर विजय कुमार चौधरी जी बिफर रहे थे। दरअसल यह तो बिहार में एनडीए सरकार के गठन के समय से हीं लटका हुआ था। 2005 में एनडीए सरकार बनने के बाद बिहार में कभी प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक की बहाली कभी हुई हीं नहीं थी। स्थिति यह हो गई कि अधिकांश विद्यालयों में केवल नियोजित शिक्षक हीं रह गए थे। और विपक्ष के साथ हीं शिक्षक संगठनों का दबाव बढ़ा तो 18 अगस्त 2021 में प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक के लिए नियमावली घोषित की गई। आवेदन लिए गए और तीन-तीन बार परीक्षा तिथि में बदलाव किया गया। अन्ततः परीक्षा हुआ हीं नहीं और फिर 2022 में नयी नियमावली बनाई गई। इस बार भी तीन-तीन बार परीक्षा तिथियों को बदला गया। अन्ततः 31 मई 2022 को परीक्षा पर परीक्षा में ऐसे नियम लागू कर दिए गए कि 90 प्रतिशत से ज्यादा सीटें खाली रह गई। तब तक बिहार में राजद के साथ महागठबंधन की सरकार बन गई और पूर्व के नियमावली को निरस्त कर नयी नियमावली बनाई गई। जिसके आधार पर 31 मार्च 2024 तक नव चयनित प्रधानाध्यपकों एवं प्रधान शिक्षकों को विधालयों में योगदान देना था। पर भाजपा के साथ जाने के बाद फिर मामले को फंसा दिया गया। और अंतोगत्वा 28 और 29 जून को परीक्षा आयोजित किया गया और चार महीने बाद 1 नवंबर को परीणाम घोषित किया गया। यदि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का दबाव नहीं रहता और वे इसे मुद्दा नहीं बनाते तो अभी भी किसी न किसी बहाने इसे लटका कर हीं रखा जाता। राजद प्रवक्ता ने कहा है कि शिक्षा और शिक्षकों के प्रति एनडीए सरकार के असली रूप को बिहार की जनता और नौजवान वर्षों से देखते रहे हैं। वे उनको अच्छी तरह से पहचान चुके हैं। तेजस्वी यादव नौकरी का पर्याय बन चुके हैं। इसलिए सरकार धक्का देकर श्रेय लेने के बजाय जल्द से जल्द सफल अभ्यर्थियों का योगदान कराने के लिए पहल करे।