यूरोप में अनुसंधान कार्य करेंगे रोहतास के लाल धीरज
खबर पाकर लोगों में दौड़ी खुशी की लहर
तिलौथू (रोहतास)। केवल कुमार। रोहतास जिले के डेहरी अनुमंडल अंतर्गत अकोढ़ीगोला प्रखंड के बंधपा गांव निवासी रमेश प्रसाद सिंह के पुत्र धीरज कुमार का चयन वियना यूनिवर्सिटी आॅफ टेक्नोलॉजी आॅस्ट्रिया (यूरोप ) में कम्पोजिट मेटेरियल रिपेयरिग (एयरक्राफ्ट एवं जहाज निर्माण में लगी वस्तु) पर रिसर्च करने के लिये मिलने की खबर से लोगों में उत्साह चरम पर है। विश्व स्तर के अनुसंधान संस्थान में चयनित होकर धीरज ने राज्य का मान बढ़ाया । इस संबंध में बताया गया कि धीरज की प्राथमिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय से मैट्रिक तक उच्च विद्यालय चाप से की। इसके बाद 12वीं की शिक्षा जगजीवन महाविद्यालय डेहरी आॅन सोन से वर्ष 2006 में उत्तीर्ण की। वहीं वर्ष 2008 में वह इंजीनियरिग कॉलेज भुवनेश्वर में नामांकन कराया तथा वर्ष 2012 में इनका कैंपस चयन हुआ, लेकिन वह आगे की पढ़ाई के लिये नौकरी करना उचित नहीं समझा। गेट की परीक्षा उत्तीर्ण आइआइटी धनबाद से एमटेक किया। इसके बाद पॉजीटिव मेटेरियल आॅफ लेयर मशीनरिग पर अनुसंधान विषय पर पीएचडी भी की। जिसके लिये उसे डिपार्टमेंट आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा प्रत्येक माह 70 हजार रुपये स्कॉलरशिप भी मिली। पीएचडी करने के बाद धीरज का भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलुरु में कंपैरेटिव मेटेरियल रिपेयरिंग पर अनुसंधान करने के लिये चयन हुआ, जहां पर दो वर्ष अनुसंधान करने के पश्चात इसका चयन वियना यूनिवर्सिटी आॅफ टेक्नोलॉजी आॅस्ट्रिया यूरोप में अनुसंधान के लिये किया गया। इस संबंध में धीरज ने बताया कि कंपोजिट मैटेरियल रिपेयरिग का उपयोग एयरक्राफ्ट या जहाज के ऊपरी परत निर्माण के लिये कार्बन फाइबर रेन फर्स्ट प्लास्टिक तैयार की जाती है। जिसकी मरम्मत ही नहीं होती। इस असंभव कार्य को संभव करने तथा इसके मरम्मत कार्य के लिये कम पॉजिटिव मेटेरियल आॅफ रिपेयरिग के लिये अनुसंधान का जिम्मा धीरज को मिला और इसके लिये यूरोप के विश्वविद्यालय में चयन किया गया। इस बाबत आगे कहा गया कि यूरोप में अनुसंधान कार्य पूरा होने के बाद धीरज अपने देश की सेवा करेंग तथा वे अन्य अनुसंधानकर्ताओं को तैयार करेंगे ताकि देश रक्षा व विमानन क्षेत्र में आगे भी तरक्की कर सकें। यहां तक पहुंचने का श्रेय धीरज अपने पिता रमेश प्रसाद सिंह व माता नीलम देवी और दादा जी को दिया।