वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में भी भीषण गर्मी की मार, सूखी नदियां, जानवरों के लिए 50 वाटर हॉल का हुआ निर्माण
बगहा,प.चंपारण। बिहार में तकरीबन सभी जिले इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में हैं। इससे कई इलाकों में जलसंकट की समस्या गहरा गई है। पेयजल की समस्या गहराने से इंसान के साथ ही जानवरों की समस्याएं भी बढ़ गई हैं। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व भी मौसम की मार से अछूता नहीं है। इस वन्यजीव अभ्यारण्य से तकरीबन 1 दर्जन नदियां गुजरती हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में वे सभी सूख गई हैं। इससे जंगली जानवरों के लिए पेयजल की समस्या गहरा गई है। इसे देखते हुए वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों ने नया तरीका निकाला है, ताकि प्यास की वजह से जानवरों को नुकसान न हो। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में जलसंकट को देखते हुए वाटर हॉल बनाए गए हैं, ताकि जानवर वहां आकर अपनी प्यास बुझा सकें। दरअसल, बढ़ती गर्मी से इंसान के साथ जानवर भी परेशान हैं। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में गर्मी बढ़ने के साथ ही जलस्रोत भी सूखने लगे हैं। जंगल के बीच स्थित अन्य प्राकृतिक जलस्रोत सुख रहे है। ऐसे में वन विभाग जलसंकट को दूर करने के लिए स्थाई और अस्थाई तौर पर वाटर हॉल के जरिए जानवरों तक पानी पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से दर्जनों पहाड़ी नदियां बहती हैं। नारायणी, सोनहा, तमसा, भपसा, कौशील, मनोर सहित कई नदियां या तो सुख गई हैं या फिर सूखने की कगार पर हैं। इस संबध में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन संरक्षक डॉ। नेशामणि ने बताया कि टाइगर रिजर्व के क्षेत्रों में 24 पक्का और 26 कच्चा वाटर हॉल बनाया गया है। वन विभाग की टीम यहां समय-समय पर पानी भरकर रखती है। यहां जानवर आसानी से आकर पानी पी लेते हैं। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बाघ, तेंदुआ, हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, गौर, भालू, बंदर आदि जंगली जानवरो रहते हैं। प्यास के कारण इनको भटकना पड़ रहा है। उनके लिए जंगल में पानी का संकट गहराने लगा है। उन्हें पानी की तलाश में लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। ऐसे में अस्थाई तौर पर कच्चे वाटर हॉल में पानी भरकर पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।