वैशाली महासमर 2024- कुरुक्षेत्र में क्षत्रिय पर भारी पड़ सकती है ब्रह्मर्षि व यदुवंशी की एकता
>>वैशाली में मुन्ना शुक्ला-वीणा देवी के बीच जोरदार टक्कर
>>राजद के पक्ष में भूमिहार-यादव हुए एकजुट तो एनडीए मोदी लहर भरोसे
>>किधर जाएगा निषाद मत, तेजी से बदल रहे हैं जातीय समीकरण
पटना।विश्व में लोकतंत्र की जन्मस्थली वैशाली जहां लोकसभा चुनाव में राजद की ओर से मुन्ना शुक्ला एवं राजग की ओर से वीणा देवी के बीच आमने-सामने की टक्कर है। राजग गठबंधन में यह सीट लोजपा रामविलास के चिराग के पास गई है।वहीं इंडिया एलायंस में यह सीट राजद के खाते में है। वैशाली से पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला को टिकट देकर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने चुनावी शतरंज के बिसात पर बड़ी चाल चली है। राज्य के अन्य लोकसभा क्षेत्रों से ठीक विपरीत वैशाली लोकसभा चुनाव में ब्रह्मषीॅ तथा यदुवंशी वोट मुन्ना शुक्ला को विजयी बनाने के लिए एक साथ आ रहे हैं। 2014 तथा 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली से राजद के उम्मीदवार थे। जिनकी 2014 में राम सिंह तथा 2019 में वीणा देवी के हाथों हार हुई थी। इस बार 2024 में लालू यादव ने वैशाली से मुन्ना शुक्ला को मैदान में उतारा है।मुन्ना शुक्ला 2004 में यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं।निर्दलीय लड़ाई में उन्हें 2 लाख 56 हजार वोट प्राप्त हुए थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में मुन्ना शुक्ला यहां से राजग के उम्मीदवार थे। लेकिन उस बार भी हार हुई थी। 2019 के चुनाव में जदयू के विधान पार्षद दिनेश सिंह की पत्नी वीणा देवी ने राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह को परास्त किया था। वैशाली लोकसभा चुनाव में इस बार स्थिति बेहद रोमांचक हो गई है एक दूसरे के विरुद्ध राजनीति करने वाली दो प्रमुख जातियां भूमिहार तथा यादव वैशाली में एक साथ राजद उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने जा रहे हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि भूमिहार समाज का वोट बिहार में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को मिलता है।मगर मुन्ना शुक्ला के उम्मीदवारी के कारण वैशाली में समीकरण बदल गए हैं। अजय निषाद के मुजफ्फरपुर से कांग्रेस से उम्मीदवारी तथा वीआईपी के मुकेश सहनी के साथ आ जाने के वजह से निषाद मुन्ना शुक्ला के खाते में जाती हुई दिख रही है। दूसरी और लोकसभा उम्मीदवार बीना सिंह राजपूत वैश्य समेत भाजपा को समर्थन करने वाले सवर्ण वोटर तथा सीएम नीतीश कुमार को समर्थन करने वाली पिछड़ी-अति पिछड़ी जातियों के भरोसे अपनी जीत सुनिश्चित करने में लगी हुई है।एनडीए उम्मीदवार को भरोसा है कि वैशाली में मोदी मैजिक कम कर जाएगा तथा जनता 2019 के चुनाव के भांति इस बार भी भारी मतों से विजय बनाएगी। इधर-उधर लोजपा उम्मीदवार वीणा देवी के विधान पार्षद पति दिनेश सिंह से खार खाए बैठे वैशाली लोकसभा क्षेत्र के कई रसूखदार लोग जातीय समीकरण से बाहर निकलकर राजद उम्मीदवार मुन्ना शुक्ला के पक्ष में खुलकर बैटिंग करते हुए दिख रहे हैं। दिनेश कुमार सिंह जदयू के विधान पार्षद हैं।मुजफ्फरपुर स्थानीय प्राधिकार कोटा से विधान परिषद का चुनाव जीतते रहे हैं। मगर उनकी पत्नी वैशाली लोकसभा क्षेत्र से लोजपा की उम्मीदवार है। जानकार सूत्रों के मुताबिक वैशाली में भाजपा जदयू तथा लोजपा के संगठन के बीच आपसी तालमेल भी पूरी तरह से पारदर्शी नहीं है। नरेंद्र मोदी के नाम पर एनडीए उम्मीदवार पूरे लोकसभा क्षेत्र में अपने 5 वर्षों के कार्यकाल का लेखा-जोखा प्रस्तुत कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ राजद उम्मीदवार मुन्ना शुक्ला इंडिया एलायंस की सरकार केंद्र में बनने के उपरांत होने वाले लाभ गिनाते घूम रहे हैं। वैशाली लोकसभा क्षेत्र में रघुवंश प्रसाद सिंह के रहते यहां राजपूत-यादव समीकरण चलता था। 2014 में मोदी लहर में यह समीकरण टूट गया। वैशाली में राजपूत और यादव वोटरों का दबदबा है। राजपूत अब भाजपा के साथ हैं तो यादव पहले की तरह लालू यादव के पक्ष में। इसके साथ भूमिहार और मुस्लिम मतदाता भी यहां निर्णायक हैं।ऐसे में अगर मुन्ना शुक्ला के स्वजातीय भूमिहार वोट बैंक साथ आ जाते हैं तो वैशाली लोकसभा का रिजल्ट बिहार में नए राजनीतिक समीकरण का संकेत दे सकते हैं।