यूपी सिपाही परीक्षा को सीएम योगी ने किया निरस्त, 6 महीने में फिर होगा एग्जाम
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने युवाओं के हित में शनिवार को बड़ा निर्णय लेते नागरिक पुलिस में सिपाही के 60244 पदों के लिए हुई भर्ती परीक्षा को निरस्त कर दिया है। यह फैसला उन्होंने पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक में समीक्षा करने के बाद किया। यह परीक्षा 17-18 फरवरी को हुई थी। इसमें करीब 50 लाख युवाओं ने आवेदन किया था और 48 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। मुख्यमंत्री ने यह फैसला पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक में समीक्षा करने के बाद किया। इस बैठक में डीजीपी प्रशांत कुमार, एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। साथ ही पुलिस भर्ती बोर्ड के अधिकारी भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने एक एक कर सभी शिकायतों की बारीकी से जानकारी ली। उनके बारे में साक्ष्यों की पड़ताल की। इसके बाद यह परीक्षा 17-18 फरवरी को हुई थी। इसमें करीब 50 लाख युवाओं ने आवेदन किया था और 48 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इन भर्तियों को छह माह के भीतर ही पूर्ण शुचिता के साथ आयोजित किया जाए। साथ ही युवाओं की मेहनत और परीक्षा की शुचिता से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी। उन्होंने एसटीएफ को सख्ती से जांच करने के भी निर्देश दिए। गौरतलब है कि परीक्षा की गोपनीयता भंग करने वाले एसटीएफ की रडार पर हैं और अब तक एसटीएफ 300 से ज्यादा गिरफ्तारियां कर चुकी है। सिपाही भर्ती परीक्षा 17 व 18 फरवरी को दो-दो पालियों में आयोजित होनी थी। पहले दिन पहली पाली की परीक्षा के दौरान ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म में कुछ प्रश्न पत्र और आंसर की वायरल होने लगे। पुलिस अधिकारी इसे फेक बताकर नकारते रहे। जो प्रश्न पत्र पहले दिन पहली पाली में वायरल हुआ वह दूसरी पाली के प्रश्न पत्र से काफी मिलता जुलता था। इसी तरह दूसरे दिन भी शाम की पाली का प्रश्न पत्र वायरल हुआ। जिसके चलते पूरी परीक्षा सवालों के घेरे में आ गई।
छात्रों का बढ़ता जा रहा था गुस्सा
परीक्षा निरस्त होने की दूसरी सबसे बड़ी वजह अभ्यर्थियों की एकजुटता रही। प्रदेश के कई हिस्सों में पेपर लीक के आरोप लगाते हुए अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए। प्रदर्शन की आंच लखनऊ तक पहुंच गई। जिससे परीक्षा निरस्त करने का दबाव बढ़ने लगा।
चुनाव से पहले विपक्ष का दबाव
सरकार को परीक्षा निरस्त करने का दबाव तब और भी बढ़ गया जब विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं पूर्व सीएम अखिलेश यादव, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने सरकार को घेरना शुरू किया और नेता अभ्यर्थियों के प्रदर्शन में हिस्सा लेने लगे। लोकसभा चुनाव में परीक्षा कहीं मुद्दा न बन जाए इसलिए सरकार ने परीक्षा निरस्त करने का फैसला ले लिया। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने परीक्षा के अगले दिन ही पेपर लीक समेत अन्य कमियों की जांच के लिए एक आंतरिक कमिटी का गठन किया था। साथ ही अभ्यर्थियों से पेपर लीक के संबंध में प्रत्यावेदन मांगे थे। बड़ी संख्या में प्रत्यावेदन व साक्ष्य बोर्ड को भेजे गए जिन्हें जांच में सही पाया गया। वही पेपर शुरू होने से पहले वायरल हुए प्रश्न पत्रों का परीक्षा स्थल पर बांटे गए प्रश्न पत्रों से मिलान होना भी परीक्षा निरस्त होने की एक बड़ी वजह बना।