बिहार के 15 विश्वविद्यालय डिफाल्टर घोषित, यूजीसी ने की बड़ी कार्रवाई
पटना। बिहार के 15 विश्वविद्यालय को यूजीसी ने डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। दिसंबर में ही इन विश्वविद्यालय को यूसीएससी ने हिदायत दी थी। इन विश्वविद्यालय में नौ माह में लोकपाल नियुक्त नहीं हुए थे। जिसके कारण यूजीसी ने इन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया है और केंद्रीय अनुदान देने पर रोक लगा दी है। साथ ही राष्ट्रीय उच्च स्तरीय शिक्षा अभियान समेत भारत सरकार से मिलने वाले तमाम तरह के अनुदान पर रोक लगाने की आशंका है। जानकारी अनुसार 9 महीने बाद भी इन विश्वविद्यालय में लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने के कारण यूजीसी ने यह कड़े कदम उठाए हैं। लोकपाल की नियुक्ति क्षेत्र प्रक्रिया में भेदभाव तथा भ्रष्टाचार रोकने के लिए की जानी थी। केवल आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी और मगध विश्वविद्यालय डिफॉल्टर लिस्ट से बाहर है। यूजीसी ने 5 दिसंबर को विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र भेज कर लोकपाल की नियुक्ति के हिदायत दी थी। इसके लिए 31 दिसंबर 2023 तक अंतिम समय सीमा निर्धारित की गई थी। इसके बाद कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी। यूजीसी ने 11 अप्रैल 2030 को ही विश्वविद्यालय के लिए छात्रों की शिकायत निवारण का रेगुलेशन जारी किया था। इसके साथ ही एक महीने के भीतर लोकपाल की नियुक्ति की चेतावनी दी थी। विश्वविद्यालय डिफॉल्टर लिस्ट में बिहार के 15 विश्वविद्यालय पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, बिहार इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी, बिहार यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज, मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा, बीआरबी मुजफ्फरपुर, जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा, संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा, एलएनएम विश्वविद्यालय दरभंगा, टीएमबीयू विश्वविद्यालय भागलपुर, बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर, पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया शामिल है।