धामी सरकार ने यूसीसी विधेयक विधानसभा में किया पेश, कई प्रकार के नियमों में होंगे बदलाव
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता कानून यानी यूसीसी का ड्राफ्ट पेश हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में यूसीसी का ड्राफ्ट टेबल किया। उन्होंने कहा कि इस बिल में सभी धर्मों और सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। यूसीसी पर ड्राफ्ट लाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। बिल पेश करने से पहले मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जिस वक्त का लंबे समय से इंतजार था, वो पल आ गया है। न केवल प्रदेश की सवा करोड़ जनता बल्कि पूरी देश की निगाहें उत्तराखंड की ओर बनी हुई हैं। यह कानून महिला उत्थान को मजबूत करने का कदम है जिसमें हर समुदाय, हर वर्ग, हर धर्म के बारे में विचार किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जैसे ही विधानसभा में यूसीसी बिल को टेबल किया, भाजपा के विधायक जय श्री राम के नारे लगाने लगे। नए कानून के मुताबिक सभी को एडॉप्शन का अधिकार मिलेगा। साथ ही किसी बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसान बनाई जाएगी। नए कानून में कहा गया है कि अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा। राज्य की 4% जनजाति को क़ानून से मुक्त रखा गया है। यानी उत्तराखंड में किसी भी जनजाति पर यूसीसी कानून लागू नहीं होगा। राज्य की जनजातियों पर यह क़ानून लागू नहीं होगा। मतलब उत्तराखंड में निवास करने वाली किसी भी जनजाति इस क़ानून से मुक्त रहेंगी। जनजाति समुदाय की राज्य में पांच प्रकार की जनजातियां है जिनमें थारू, बोक्सा, राजी, भोटिया और जौनसारी समुदाय शामिल है। चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद 1967 में इनको संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत जनजाति समुदाय में शामिल करने के लिए अधिसूचित किया गया है। पिछले दिनों आसाम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी कह चुके है कि वो भी अपने प्रदेश में जनजाति और आदिवासियों को इस क़ानून से मुक्त रखेंगे। नए कानून के ड्राफ्ट में कहा गया है कि माता-पिता की संपत्ति में पुत्र और पुत्री को समान अधिकार होगा।
नए कानून में लिव इन रिलेशनशिप के लिए नियम
दो लोगों के साथ रहने से पहले पंजीकरण अनिवार्य होगा। पंजीकरण के टर्मिनेशन का भी पंजीकरण होगा। इस दौरान कोई संतान पैदा होती है तो उसके हितों का संरक्षण करना होगा और उसे माता-पिता का नाम भी देना होगा।
यूसीसी ड्राफ्ट में शादी को लेकर सुझाव
लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जाएगी, ताकि वे शादी से पहले ग्रेजुएट हो सकें। सभी धर्म और जातियों में विवाह की आयु 18 वर्ष होगी। बहुविवाह प्रथा पर रोक लगेगी। विवाह का पंजीकरण (लोकल बॉडी में) अनिवार्य होगा। कोर्ट के अलावा हर प्रकार के तलाक पर रोक रहेगी। पुनर्विवाह के लिए किसी भी प्रकार की शर्त पर रोक रहेगी (जैसे हलाला, इद्दत)। वर्जित विवाह परिभाषित किए गए, सगे और चचेरे, ममेरे भाई बहन से विवाह वर्जित होगा, लेकिन यदि किसी धर्म में पहले से ही इसका रिवाज और मान्यता है तो वो ऐसे विवाह की इजाजत होगी।
800 पन्नों के ड्राफ्ट में 400 सेक्शन, ढाई लाख सुझाव मिले
उत्तराखंड में यूसीसी की एक्सपर्ट कमेटी ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें लगभग 400 सेक्शन है। और लगभग 800 पन्नों की इस ड्राफ्ट रिपोर्ट में प्रदेशभर से ऑनलाइन और ऑफलाइन 2.31 लाख सुझावों को शामिल किया गया है। 20 हज़ार लोगों से कमेटी ने सीधे संपर्क किया है। इस दौरान सभी धर्म गुरुओं, संगठनों, राजनीतिक दलों, कानूनविदों से बातचीत की गई है। जिनके सुझावों को कमेटी ने यूसीसी ड्राफ्ट में शामिल किया है।