मुजफ्फरपुर : आक्रोशित किसानों ने 50 बीघा में उगाए गए सैकड़ों किलो टमाटर को सड़क पर फेंककर ट्रैक्टर से रौंदा, ये रही वजह
मुजफ्फरपुर । कोरोना के बीच बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के टमाटर किसानों की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। तीन महीने की कड़ी मेहनत करने के बाद उनके टमाटर जब उपजने शुरू हुए तो व्यापारी उनके टमाटर की कीमत एक रुपये किलो लगा रहे हैं। इस कारण लागत मूल्य भी वापस होना मुश्किल हो गया है।
आक्रोशित किसानों ने सैकड़ों किलो टमाटर व अन्य फसलों को सड़क पर फेंक कर ट्रैक्टर से रौंद दिया। किसानों ने दावा किया है कि 50 बीघा में उगाए गए फसलों को नष्ट किया गया है।
टमाटर की खेती मुजफ्फर जिले के 25 हजार किसान प्रत्येक वर्ष अपनी क्षमता के अनुसार करते हैं। करीब 50 हजार एकड़ में टमाटर की खेती होती है।
जिले के मीनापुर, सकरा, बोचहां, मुशहरी, कुढ़नी समेत कई प्रखंडों में किसान टमाटर की खेती करते हैं। सबसे अधिक टमाटर की खेती मीनापुर में होती है। प्रखंड के गंजबाजार, नेउरा बाजार एवं खेमाई पट्टी बाजार में इन दिनों टमाटर से पटे पड़े हैं। यहां टमाटर की खरीदारी के लिए राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा पश्चिम बंगाल, असम व नेपाल तक के व्यापारी पहुंचते थे। कोरोना काल में बाहर से व्यापारी के नहीं आने से किसानों को अपनी पैदावार की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है।
मीनापुर के अली नेउरा के किसान चंदेश्वर प्रसाद, लालबाबू प्रसाद, सीताराम प्रसाद ने बताया कि टमाटर की इस बार अच्छी फसल होने से अच्छी आमदनी की उम्मीद थी। कोरोना के कारण बाहरी व्यापारियों के नहीं आने से स्थानीय व्यापारी 25 किलो (एक ट्रे) टमाटर 20 से 40 रुपये में ले रहे हैं।
शहजपुर के किसान अरुण कुमार सिंह ने बताया कि इस बार उन्होंने पांच एकड़ में टमाटर की खेती की है। भाव नहीं मिलने से मायूस हूं। वहीं, नीरज कुमार, बिन्देश्वर सिंह व चंदेश्वर सिंह ने बताया कि यहां प्रति वर्ष बाहर के व्यापारी आकर अच्छी कीमत देकर जाते थे। दस दिन पहले तक एक ट्रे टमाटर 250 रुपये में बिक रहा था। कोरोना के बढ़ते प्रकोप व अब लॉकडाउन लगने के बाद एक रुपये भी बेचना मुश्किल हो गया है। एक ट्रे टमाटर तोड़ने के लिए मजदूर 10 रुपये लेते हैं।