….तो फिर क्या तेजस्वी ने सुशील मोदी को दे दिया क्लीन स्वीप,आज नामांकन का आखरी दिन
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पटना।पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन से रिक्त हुई राज्यसभा की सीट के लिए एक तरफ तो एनडीए की ओर से सुशील मोदी मैदान में हैं।मगर वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के द्वारा नामांकन के अंतिम तिथि में भी प्रत्याशी का चयन संभव नहीं हो सका।इससे यह कयास लगाया जा रहा है कि राज्यसभा की सीट पर भाजपा की ओर से पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का निर्विरोध पहुंचना लगभग तय हो गया है।हालांकि बिहार के राजनीतिक प्रेक्षक इस बात का अनुमान लगा रहे थे कि सुशील मोदी के राह को टेढ़ी करने के लिए महागठबंधन की ओर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव निश्चित तौर पर किसी उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे।पहले पहल तो लोजपा की ओर से यह खबर उभरी की स्व- रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान अपने पति के निधन से रिक्त हुए सीट पर राज्यसभा जा सकती है।मगर जब भाजपा ने उम्मीदवार के रूप में सुशील मोदी के नाम की घोषणा की। तो लोजपा को एनडीए में अपने हैसियत का अंदाजा हो गया।वहीं रीना पासवान को लेकर राजद की ओर से भी समर्थन देने की बात कही गई। राजद ने साफ तौर पर कहा कि अगर लोजपा रीना पासवान को उम्मीदवार बनाती है।तो राजद समेत पूरा महागठबंधन समर्थन करेगा।मगर राजद के द्वारा समर्थन दिए जाने की घोषणा के बाद लोजपा बैकफुट पर आ गई।लोजपा ने साफ तौर पर कहा कि रीना पासवान राज्यसभा की सीट के लिए उम्मीदवार नहीं बनेगी।इसके बाद राजद में राज्यसभा के कथित प्रत्याशी को लेकर चर्चा का दौर आरंभ हो गया।इस क्रम में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह,पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी,श्याम रजक आदि कई नाम चर्चा के तौर पर उभरे। मगर अभी तक महागठबंधन के अंदर प्रत्याशी के नाम को लेकर किसी प्रकार की रजामंदी नहीं बन सकी है।इतना ही नहीं आज नामांकन का अंतिम दिन है।ऐसे में महागठबंधन की ओर से किसी प्रत्याशी के नाम में खुलासा ना हो पाने से यह साफ पता चलता है कि राज्यसभा के दौड़ में सुशील मोदी अकेले हैं तथा उनका पहुंचना भी लगभग तय है।इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा अध्यक्ष पद की सीट को लेकर हुए चुनाव में मिली मात ने महागठबंधन के मौजूदा हौसले पर करारा चोट पहुंचाया है।इसलिए रीना पासवान के नाम पर समर्थन की बात तक तो महागठबंधन ‘सीरियस’ थी। मगर जब लोजपा ने रीना पासवान को चुनाव लड़ाने से इंकार कर दिया।तो फिर महागठबंधन भी राज्यसभा के चुनाव को लेकर अपनी उम्मीदवारी पर बहुत ‘सीरियस’ नहीं रह सकी।
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