मुसहर भुइंया सम्मेलन में तेजस्वी की हुंकार, कहा- लालू ने आपको आगे बढ़ाया, सीएम बनते ही पक्का घर बनाकर दूंगा

पटना। पटना के एसके मेमोरियल हॉल में आयोजित मुसहर-भुइंया सम्मेलन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में सामाजिक न्याय और दलित-पिछड़े वर्गों के अधिकारों की बात उठाई। उन्होंने विशेष रूप से मुसहर समाज की उपेक्षा और उनके विकास की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में मुसहर समाज के लोग शामिल हुए, जिन्हें संबोधित करते हुए तेजस्वी ने कहा कि उनके पिता, लालू प्रसाद यादव ने ही सबसे पहले वंचित वर्गों को राजनीतिक और सामाजिक मंच दिया। तेजस्वी ने भाजपा और आरएसएस पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये ताकतें कभी नहीं चाहतीं कि दलित और पिछड़ा समाज आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि बिहार में मुसहरों की आबादी लगभग 40 लाख है, लेकिन इसके बावजूद सरकारी नौकरियों में उनकी भागीदारी नगण्य है। आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी आबादी में केवल 20 डॉक्टर और 76 इंजीनियर ही मुसहर समाज से हैं। डोम जाति में 2.60 लाख की आबादी में केवल 19 डॉक्टर और 63 इंजीनियर हैं। इससे यह साफ है कि वंचित वर्गों को शिक्षा और रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं। तेजस्वी ने लोगों से अपील की कि वे अपने बच्चों को शिक्षित करें, ताकि वे अपने अधिकारों को पहचान सकें और उनका उपयोग कर सकें। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री बनने पर झोपड़ियों और रैन बसेरों में रहने वालों को पक्के मकान बनवाकर देंगे। उन्होंने खुद को उम्र में भले ही छोटा बताया, लेकिन भरोसा दिलाया कि उनकी बातें खोखली नहीं हैं, जो कहेंगे वह पूरा करेंगे। तेजस्वी यादव का यह भाषण केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं, बल्कि मुसहर समाज के लिए एक आश्वासन और उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने मांझी समाज के बच्चों को भी डॉक्टर, इंजीनियर और राजनेता बनने का सपना दिखाया और कहा कि यह वही लालू यादव थे, जिन्होंने समाज के सबसे पिछड़े तबकों को अवसर देकर मुख्यधारा में लाने का काम किया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी की यह रणनीति जीतनराम मांझी के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश है। मुसहर समाज का झुकाव अगर तेजस्वी की ओर बढ़ा, तो आने वाले चुनावों में यह जीतनराम मांझी के लिए चुनौती बन सकता है।
