17 अगस्त से बिहार यात्रा पर निकल सकते हैं तेजस्वी यादव, राजद जल्द करेगी आधिकारिक घोषणा

पटना। लोकसभा चुनाव 2024 चुनाव प्रचार के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लंबा प्रचार अभियान चलाया था। महागठबंधन को नौ सीटों पर मिली जीत से उत्साहित हैं। अब वे 2025 में होने वाले विधान सभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी अगस्त में बिहार में यात्रा शुरू करने वाले हैं। विधानसभा चुनाव के पहले उनकी इस यात्रा में अपराध, भ्रष्टाचार, आरक्षण और बिहार को विशेष राज्य की मांग जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं। तेजस्वी ने अगस्त में यात्रा शुरू करने की पहले से ही घोषणा कर रखी है। तिथि की घोषणा अबी नहीं हुई है। सूत्रों के अनुसार 17 अगस्त से तेजस्वी अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं। सियासी यात्राओं का लाभ पार्टियां उठाती रही हैं। जहां तक तेजस्वी यादव की बात है तो इन्होंने राजनीतिक यात्राओं का लाभ भी लिया है, बड़ा नेता जब यात्रा पर निकलता है तो उससे वह अपने समर्थकों से पहले तो सीधे कनेक्ट होता है और दूसरी सबसे अहम बात की आम जनता से संवाद साधने में कामयाब होता है। यानी सरकार के खिलाफ मैसेज देने में यात्राएं कारगर साबित होती हैं। जाहिर है कि लोकसभा चुनाव से तेजस्वी ने टिकट बंटवारे में जातिये समीकरण में कुछ बदलाव किया और बिहार का दौरा भी किया था। 2019 में जीरो सीट वाली पार्टी चार सीटें जीतने में कामयाब रहीं 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के लिए बड़ी चुनौती सामने होगी। क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव वाली न तो बात है न ही समीकरण। एनडीए 2020 से ज्यादा मजबूत स्थिति में फिलहाल दिख रहा है। अब चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी एनडीए के साथ हैं। यही कारण है कि इस बार तेजस्वी के चुनावी रण कठिन होगा। बता दें कि तय समय सीमा पर यदि बिहार विधानसभा चुनाव होता है तो 2025 विधानसभा चुनाव में अभी 1 वर्ष का समय है। तेजस्वी अपने बिहार दौरे पर बढ़ते अपराध का मुद्दा जोरशोर से उठा सकते हैं। हत्या, बैंक लूट और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लूट-डकैती की घटनाएं बिहार में बढ़ी है। बारिश के दिनों में लगातार पुलों का धराशायी होना भी विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा है। पुलों के ढहने की घटनाओं, अपराधियों के तांडव के मुद्दे के साथ नेता प्रतिपक्ष जनता के बीच जाने वाले हैं। केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से साफ मना कर दिया है। हालांकि बिहार के लिए केंद्रीय बजट में बड़ी राशि का प्रावधान कर केंद्र सरकार ने इस मांग के असर को काफी हद तक कम किया है, लेकिन यह मुद्दा विधानसभा चुनाव तक तेजस्वी जिंदा रखेंगे। राजद के साथ सरकार चलाते नीतीश कुमार ने जाति सर्वेक्षण का काम कराया। बिहार की इस मांग को भी केंद्र ने खारिज कर दिया था। राज्य सरकार ने अपने खर्च से यह बड़ा काम किया। सरकार ने आरक्षण की सीमा में भी संशोधन किया। 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा राज्य सरकार ने 65 प्रतिशत कर दी। लेकिन पहले हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट से आरक्षण की बढ़ी सीमा पर रोक बरकरार रखने के आदेश के बाद यह मुद्दा विधानसभा चुनाव में विपक्ष बना सकता है।

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