लैंड सर्वे में वंशावली अपलोड सर्वर में तकनीकी खराबी, जल्द बढ़ेगी स्वघोषणा आखिरी तारीख, रैयतों को बड़ी राहत

पटना। बिहार में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया से जुड़ी एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। राज्य में चल रहे भूमि सर्वे में स्वघोषणा (डिक्लेरेशन) और वंशावली अपलोड करने की प्रक्रिया के दौरान तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसे देखते हुए सरकार ने रैयतों को राहत देने की योजना बनाई है।
सर्वर में आ रही तकनीकी दिक्कतें
भूमि सर्वेक्षण से जुड़े ऑनलाइन पोर्टल पर स्वघोषणा और वंशावली अपलोड करने की व्यवस्था की गई थी, ताकि लोग अपनी जमीन से संबंधित जानकारी आसानी से दर्ज करा सकें। लेकिन हाल के दिनों में कई प्रमंडलों से शिकायतें मिलीं कि पोर्टल का सर्वर सही तरीके से काम नहीं कर रहा, जिससे कई लोग अपनी जानकारी अपलोड नहीं कर पा रहे हैं। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने सभी प्रमंडलों से रिपोर्ट मंगवाई है। रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद यह तय किया जाएगा कि अंतिम तिथि को बढ़ाने की जरूरत है या नहीं।
समयसीमा बढ़ने की संभावना
वर्तमान में वंशावली और स्वघोषणा अपलोड करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2025 तय की गई है। हालांकि, यदि सर्वर की समस्या बनी रहती है और लोगों को परेशानी होती है, तो इस समयसीमा को आगे बढ़ाया जा सकता है। इससे उन रैयतों को राहत मिलेगी, जो अभी तक अपनी जमीन से संबंधित जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं कर पाए हैं।
भूमि सर्वेक्षण का निर्धारित लक्ष्य
बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण की पूरी प्रक्रिया को दिसंबर 2025 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। इस सर्वेक्षण में जमीन की सही जानकारी दर्ज करने, स्वामित्व विवादों को सुलझाने और राजस्व संग्रहण से जुड़ी तमाम जानकारियां अपडेट करने का काम किया जा रहा है।
भ्रष्टाचार पर सख्त नजर
भूमि सर्वेक्षण और राजस्व संग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। यदि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायत मिलती है, तो संबंधित कर्मचारियों और पदाधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, यदि कोई बिचौलिया अवैध रूप से भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ भी कठोर कदम उठाए जाएंगे।
निगरानी और सुधार की प्रक्रिया
सरकार ने स्पष्ट किया है कि भूमि सर्वेक्षण की पूरी प्रक्रिया पर लगातार नजर रखी जा रही है। अगर किसी रैयत को किसी तरह की परेशानी होती है, तो वह संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकता है। इसके अलावा, डिजिटल पोर्टल को भी दुरुस्त करने की दिशा में काम किया जा रहा है, ताकि आगे कोई तकनीकी समस्या न आए।
रैयतों को मिलेगी राहत
समयसीमा बढ़ने से उन रैयतों को राहत मिलेगी, जो अभी तक अपनी जमीन संबंधी जानकारी अपलोड नहीं कर पाए थे। सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक लोग इस प्रक्रिया में शामिल हों, ताकि भविष्य में जमीन विवादों को रोका जा सके और भूमि स्वामित्व को लेकर स्पष्टता बनी रहे। इस तरह, बिहार में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया को पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। जल्द ही तिथि बढ़ाने को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, जिससे सभी रैयतों को अपनी जमीन से जुड़ी जानकारियां दर्ज कराने का पर्याप्त समय मिल सके।
