टीआरई-3 के सफल शिक्षकों की जल्द होगी जॉइनिंग, शिक्षा मंत्री बोले- प्रक्रिया जारी, जल्द विद्यालय में देंगे योगदान

पटना। बिहार में टीआरई-3 परीक्षा के माध्यम से चयनित हुए शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे अभ्यर्थियों के लिए राहत की खबर आई है। राज्य के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने यह स्पष्ट किया है कि चयनित शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है और बहुत जल्द सभी को उनके विद्यालयों में योगदान का अवसर मिलेगा। मंत्री ने बताया कि विभाग की पूरी कोशिश है कि नियुक्ति प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा किया जाए, जिससे विद्यालयों में शिक्षण कार्य बाधित न हो।
वरिष्ठ अधिकारियों ने भी जताया भरोसा
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने भी हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान भरोसा दिलाया कि विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। उन्होंने कहा कि इसी सप्ताह शिक्षकों की जॉइनिंग से संबंधित आदेश जारी कर दिए जाएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि स्कूलों में पोस्टिंग के दौरान विशेष ध्यान दिया गया है कि जहां शिक्षकों की अत्यधिक कमी है, वहां प्राथमिकता के आधार पर नियुक्ति की जाए। इसका उद्देश्य यह है कि छात्रों और शिक्षकों का अनुपात संतुलित बना रहे और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
विलंब से नाराज अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन
हालांकि, चयनित अभ्यर्थियों के बीच इस प्रक्रिया में हो रही देरी को लेकर काफी नाराजगी भी देखी गई है। नियुक्ति पत्र मिलने के बावजूद कई अभ्यर्थियों को स्कूल आवंटन और जॉइनिंग नहीं मिली है, जिससे सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों ने 5 मई को पटना में विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। छात्र नेता दिलीप कुमार ने इस देरी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि जिस गांधी मैदान में उन्हें नियुक्ति पत्र मिला था, अब उसी स्थान पर आंदोलन की तैयारी करनी पड़ रही है।
नियुक्ति पत्र वितरण का भव्य आयोजन
यह उल्लेखनीय है कि 9 मार्च 2025 को पटना के गांधी मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने टीआरई-3 परीक्षा के तहत चयनित 51,389 नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित किए थे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने स्वयं आठ जिलों के 10,000 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपे थे, जबकि अन्य जिलों में यह वितरण जिला मुख्यालयों के माध्यम से किया गया था। राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाना एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इसमें हो रही देरी से चयनित अभ्यर्थियों की हताशा भी समझी जा सकती है। यह आवश्यक है कि सभी संबंधित विभाग और अधिकारी समन्वय बनाकर नियुक्तियों को अंतिम रूप दें, जिससे विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर हो और शिक्षा व्यवस्था सुचारु रूप से चल सके। चयनित शिक्षकों को भी यह विश्वास होना चाहिए कि सरकार उनके भविष्य और अधिकारों के प्रति गंभीर है और जल्द ही उन्हें उनके कार्यस्थल पर योगदान का अवसर मिलेगा।