अरवल में होमवर्क नहीं करने पर हैवान बना शिक्षक, छात्र को बेरहमी से पीटा, हालत गंभीर
अरवल। बिहार के अरवल जिले में एक स्कूल शिक्षक की क्रूरता ने शिक्षा के मंदिर को शर्मसार कर दिया। होमवर्क पूरा न करने पर एक शिक्षक ने मासूम छात्र को इतनी बेरहमी से पीटा कि उसकी आंखों की रोशनी चली गई। गंभीर रूप से घायल छात्र को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह दर्दनाक घटना सदर थाना क्षेत्र के उमैराबाद स्थित हिमालयन विद्यालय की है। पीड़ित छात्र अमित राज ने बताया कि वह नियमित रूप से स्कूल जाता था, लेकिन घटना वाले दिन वह होमवर्क पूरा करके नहीं जा पाया। स्कूल में होमवर्क चेक करते समय जब शिक्षक को यह पता चला, तो उन्होंने गुस्से में अमित को छड़ी से बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। पिटाई के दौरान छड़ी से उसकी आंख में गंभीर चोट लग गई। घायल अमित को तुरंत सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि चोट इतनी गहरी थी कि उसकी आंखों की रोशनी चली गई है। इस घटना से छात्र और उसके परिवार के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में रोष और भय का माहौल बन गया है। घटना के बाद अमित के परिजनों ने विद्यालय के निदेशक और सहायक शिक्षक के खिलाफ सदर थाना में मामला दर्ज कराया है। परिवार का कहना है कि शिक्षा देने के नाम पर बच्चों के साथ इस तरह की हिंसा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने आरोपी शिक्षक के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है। अरवल के एसपी राजेंद्र कुमार भील ने बताया कि मामले को गंभीरता से लिया गया है और पुलिस द्वारा जांच शुरू कर दी गई है। स्कूल प्रशासन और घटना के प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की जा रही है। एसपी ने यह भी आश्वासन दिया कि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून के तहत कड़ी सजा दी जाएगी। यह घटना शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को सीखने और बेहतर इंसान बनाने का होता है, लेकिन अगर शिक्षक ही हिंसा पर उतर आएं, तो यह पूरी प्रणाली को विफल बनाता है। बच्चों को पढ़ाई में सुधार लाने के लिए प्रेरित करना चाहिए, न कि हिंसा का सहारा लेना। इस घटना से न केवल अमित का परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र में आक्रोश है। स्थानीय लोग बच्चों की सुरक्षा और स्कूल में शिक्षकों के व्यवहार को लेकर चिंतित हैं। अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं और बच्चों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की मांग की है। इस हादसे का सबसे गहरा असर अमित और उसके परिवार पर पड़ा है। उसकी आंखों की रोशनी जाने से उसका भविष्य अनिश्चित हो गया है। इस घटना ने शिक्षा प्रणाली की खामियों और बच्चों की सुरक्षा के प्रति स्कूलों की अनदेखी को उजागर किया है। अमित के परिजन और स्थानीय लोग इस घटना के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। उनकी अपेक्षा है कि आरोपी शिक्षक को कठोर दंड मिले और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। अरवल की यह घटना न केवल एक बच्चे की जिंदगी को बदल देने वाली त्रासदी है, बल्कि यह समाज और प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है। शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अब अनिवार्य हो गया है। सरकार और प्रशासन को ऐसे नियम लागू करने चाहिए, जो स्कूलों में बच्चों के साथ किसी भी तरह की हिंसा को रोक सकें। शिक्षकों को यह समझने की जरूरत है कि बच्चों को प्यार और प्रेरणा के जरिए ही शिक्षा दी जा सकती है, न कि डर और हिंसा के माध्यम से।