सरकार के नियमों पर भारी पड़ा बालू माफियाओं का सिंडिकेट सिस्टम मैनेज
पटना। अवैध बालू खनन व अवैध कारोबार को रोकने के लिए नीतीश सरकार ने बालू खनन नीति 2019 तो जरूर बनाया लेकिन बालू माफियाओं के सिंडिकेट के आगे पुरी तरह से फेल रही , या कहें तो सरकार के नियम पर बालू माफियाओं का सिंडिकेट भारी पड़ा। सिस्टम देखते रह गयी और बालू टेंडर 2021 में घपला हो गया ,करोड़ों का नुकसान अलग कागज़ पर तो एक व्यक्ति या कंपनी को टेंडर मिला लेकिन हिस्सेदारी सबकी तय हो गयी। घर का भेदी लंका ढाए की कहावत बिहार के खनन विभाग में पुरी तरह से सटीक बैठती है। खनन विभाग सरकार की पार्ट जरूर है लेकिन पुरी सिस्टम बालू माफियाओं के लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट से स्टे हटने के बाद बालू खनन के लिए 2021 ओपन टेंडर किया गया। वही निष्पक्ष और पारदर्शिता के साथ बालू नीति 2019 के पालन का पुरा हवाला दिया गया लेकिन बालू माफियाओं ने हवा निकाल दिया। खनन विभाग मजबूर रही की मैनेज इसकी तुलना बड़ी आसान तरीके से की जा सकती है। पटना जिले को ही ले, 51 बालू घाटों से खनन की बंदोवस्ती होनी है। खनन विभाग ने विकल्प के तौर पर न्यूनतम 70 लाख और अधिकतम 3 करोड़ दिया। ओपन टेंडर के लिए प्रक्रिया अपनाई गयी। 16 नवंबर को निविदा पेपर डाउनलोड और 23 नवंबर तक जमा करने को कहां गया। 23 नवंबर को ही टेंडर खोली गयी और 25 नवंबर को जिसने भी अधिकतम बोली लगाया उसकी सूची जारी कर दी गयी। टेंडर के लिए पेपर डाउनलोड करने व जमा करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया।
यह एक सप्ताह बालू माफियाओं के लिए चमत्कारी रहा। अंदर से लेकर बाहर तक सूचनाएं आदान-प्रदान होती गयी। कहने के लिए ओपन टेंडर हुआ लेकिन टेंडर की बोली सभी के करीब -करीब रहा। आपस में बालू माफियाओं ने एक दूसरे से समझौता कर लिया। कागज़ पर तो एक व्यक्ति या एक कंपनी को टेंडर मिला लेकिन जितने भी टेंडर डालने वाले थे सबकी हिस्सेदारी तय हो गयी। जो टेंडर अधिकतम में जानी चाहिए थी वह टेंडर मध्यम बन कर रह गयी। इसकी तुलना बालू टेंडर 2019 से की जा सकती हैं। 2019 में जो टेंडर हुई थी उसमें पूर्व के टेंडर और वृद्धि दर से 10 गुणा हुआ था। बालू खनन नीति 2019 के अनुसार 2021 में जो टेंडर हुआ उसके अनुकूल 40 फीसदी की बढ़ोतरी होनी चाहिए थीं। अवैध बालू खनन ,अवैध कारोबार एवं व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच और कार्रवाई बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई कर रही हैं। बालू के अवैध कारोबार से जुड़े कई एसपी , डीएसपी , डीटीओ ,एसडीओ, सीओ, थानाध्यक्ष, जिला खनन पदाधिकारी के खिलाफ ईओयू ने एफआईआर दर्ज किया हैं ,अभी जांच जारी हैं। क्या मैनज टेंडर ,जिसमें सरकार के करोड़ों रूपये का नुकसान हुआ है उसकी भी जांच आर्थिक अपराध इकाई करेगी।