सरकारी स्कूलों में अब सुबह में होगा औचक निरीक्षण, स्कूल खुलने की होगी जांच, विभाग का निर्देश जारी

पटना। बिहार में गर्मी को देखते हुए 7 अप्रैल से सरकारी स्कूलों में मॉर्निंग शिफ्ट लागू कर दी गई है। लेकिन पहले ही सप्ताह में कई स्कूलों में समय पालन को लेकर अनियमितताएं सामने आई हैं। इसी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी करते हुए स्कूलों में औचक निरीक्षण अनिवार्य कर दिया है।
समय पर स्कूल न खुलने पर सख्त कार्रवाई
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार कई स्कूल सुबह 6:30 बजे तक नहीं खुल रहे थे और शिक्षकों की उपस्थिति भी काफी कमजोर पाई गई। इसके बाद विभाग ने तत्काल सख्त रुख अपनाते हुए आदेश जारी किया है कि अब प्रत्येक दिन सुबह 6:30 बजे से 11:00 बजे तक स्कूलों का निरीक्षण किया जाएगा।
स्कूलों की रिपोर्ट उसी दिन पोर्टल पर अपलोड करनी होगी
जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ), प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ), सहायक परियोजना पदाधिकारी (एपीओ) और समन्वयकों सहित अन्य 6 अधिकारियों को अब प्रतिदिन फील्ड विजिट करनी होगी। निरीक्षण के दौरान स्कूलों की उपस्थिति, समय पर खुलने की स्थिति और अन्य व्यवस्थाओं की रिपोर्ट उसी दिन ‘ई-शिक्षा कोष’ पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। जब तक फील्ड विजिट पूरी नहीं होगी, तब तक कोई भी अधिकारी अपने कार्यालय में नहीं बैठ सकेगा। आदेश का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है।
रैंडम जांच में खुली गड़बड़ी
7 अप्रैल को ही अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने वीडियो कॉल के जरिए कई स्कूलों का रैंडम निरीक्षण किया था। इस दौरान मोतिहारी जिले के एक स्कूल में प्रधान शिक्षक को स्कूल में उपस्थित रहने के बजाय दुकान पर बैठे पाया गया। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए संबंधित शिक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। यह कदम शिक्षा विभाग के बदले हुए रवैये को साफ तौर पर दर्शाता है।
अब मॉनिटरिंग के साथ बढ़ेगी जिम्मेदारी
शिक्षा विभाग का यह नया निर्देश सिर्फ स्कूलों के खुलने का समय तय करने तक सीमित नहीं है, बल्कि अब मॉनिटरिंग और जवाबदेही दोनों पर समान रूप से जोर दिया जाएगा। विभाग का उद्देश्य है कि सभी सरकारी स्कूल समय पर खुलें, नियमित रूप से पढ़ाई हो और छात्रों को अनुशासित शैक्षणिक वातावरण मिल सके। प्रशासन की इस पहल से स्पष्ट है कि सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए अब किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी। शिक्षकों और अधिकारियों दोनों से जिम्मेदारीपूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन करने की उम्मीद की जा रही है, ताकि सरकारी स्कूलों की छवि में सकारात्मक बदलाव आ सके।
