सूरजभान सिंह,जिसने कभी नहीं दी रामविलास को ‘दगा’,अब भी हैं बेहद गमगीन…
पटना।केंद्रीय मंत्री तथा देश के शीर्षस्थ राजनेताओं में एक रामविलास पासवान के निधन से उनके पार्टी के प्रमुख नेता सूरजभान सिंह बेहद दुखी हैं।रामविलास पासवान लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक थे।आज उनके पुत्र चिराग पासवान उसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।प्रदेश की राजनीति में दादा के नाम से विख्यात पूर्व सांसद सूरजभान सिंह लंबे अर्से से रामविलास पासवान के साथ रहे हैं।उनकी पार्टी में बने रहे हैं। दरअसल स्व- राम विलास पासवान के राजनीतिक जीवन में उन्हें कभी नहीं धोखा देने वालों में एकमात्र नाम उनके परिवार के अतिरिक्त सूरजभान सिंह का ही लिया जा सकता है।पूर्व सांसद सूरजभान सिंह पहली बार 2004 में रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली पार्टी लोजपा के टिकट पर बलिया से सांसद बने थे।अभी 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह लोजपा के टिकट पर ही नवादा से सांसद चुने गए हैं।इसके पूर्व 2014 में सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा सिंह भी लोजपा के टिकट पर मुंगेर से सांसद रह चुकी हैं।2004 में लोजपा से जुड़े सूरजभान सिंह आज तक लोजपा में ही रहें। वैसे लोजपा का गठन रामविलास पासवान ने 28 नवंबर 2000 में किया था।20 वर्षों तक रामविलास पासवान लोजपा को चलाते रहें।पिछले साल उन्होंने अपने पुत्र चिराग पासवान को लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया।बतौर लोजपा के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान लगातार 19 साल तक लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं।इस दौरान उनके करीबी नेताओं ने उनका साथ अलग-अलग समय में छोड़ दिया।यहां तक की सबसे करीबी माने जाने वाले लोगों में रामा सिंह, संजय सिंह,महेश्वर हजारी समेत कई नेता विभिन्न राजनीतिक विवशता के वजह से पार्टी छोड़ने पर मजबूर हो गए। मगर पूर्व सांसद सूरजभान सिंह लगातार पार्टी में अपने नेता रामविलास पासवान की हिम्मत बनकर टिके रहें।इतना ही नहीं 2005 में फरवरी के विधानसभा चुनाव के उपरांत जब लोजपा टूटने लगी तब भी सूरजभान सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर कर पार्टी के कई विधायकों को टूटने से बचाया था।आज रामविलास पासवान नहीं रहे।पूर्व सांसद सूरजभान सिंह अभी भी अपने नेता के साथ छोड़ कर वैकुंठ लोक पर चले जाने से गमगीन है।