संपत्ति अधिग्रहण पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, अब हर निजी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकेगी सरकार
- सर्वोच्च न्यायालय की 9 जजों की बेंच ने 1978 का फैसला पलटा, अधिग्रहण तभी जब वह समाज और सार्वजनिक हित से जुड़ी हो
नई दिल्ली। सार्वजनिक और सामाजिक हित के लिए सरकार के द्वारा अधिग्रहण किए जाने वाली निजी संपत्तियों की याचिका पर मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बड़ी बेंच ने आज मंगलवार को अपने अहम फैसले में कहा कि सरकार सभी निजी संपत्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकती, जब तक कि सार्वजनिक हित ना जुड़ रहे हों। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 जजों की बेंच के मामले में बहुमत से अपना फैसला सुनाया। बहुमत के जरिए बेंच ने अपने फैसले में यह व्यवस्था दी है कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित नहीं किया जा सकता है, हालांकि राज्य उन संसाधनों पर दावा कर सकता है जो सार्वजनिक हित के लिए हैं और समुदाय के पास हैं।
फैसले में 7 जजों का बहुमत
देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि सरकार के निजी संपत्तियों पर कब्जा कर सकने की बात कहने वाला पुराना फैसला विशेष रूप में आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था। मुख्य न्यायाधीश ने 7 जजों की बहुमत का फैसला लिखते हुए कहा कि सभी निजी संपत्तियां भौतिक संसाधन नहीं हो सकती हैं, इसलिए सरकार की ओर से इन पर कब्जा नहीं किया जा सकता। बहुमत ने फैसले में यह व्यवस्था दी है कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा कब्जे में नहीं लिया जा सकता, राज्य उन संसाधनों पर दावा कर सकता है जो सार्वजनिक हित के लिए हैं और समुदाय के पास हैं। हालांकि जस्टिस बीवी नागरत्ना मुख्य न्यायाधीश से आंशिक रूप से असहमत दिखे जबकि जस्टिय सुधांशु धूलिया असहमत रहे।
कोर्ट ने 1978 का फैसला पलटा
कोर्ट ने बहुमत से जस्टिस कृष्णा अय्यर के पिछले फैसले को भी खारिज कर दिया। जस्टिस अय्यर के पिछले फैसले में कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि पुराना शासन एक विशेष आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साल 1978 के बाद के उन फैसलों को पलट दिया जिसमें समाजवादी थीम को अपनाया गया था और फैसला सुनाया गया था कि राज्य आम भलाई के लिए सभी निजी संपत्तियों को अपने अधीन कर सकते हैं।
9 जजों की बेंच में कौन-कौन जज
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि कुछ फैसले इस मामले में गलत हैं कि व्यक्ति के सभी निजी संसाधन समुदाय के भौतिक संसाधन हैं। कोर्ट की भूमिका आर्थिक नीति निर्धारित करना नहीं, बल्कि आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करने की सुविधा प्रदान करना है। 9 जजों की संविधान पीठ जिसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने इस साल 23 अप्रैल से इस मामले को विस्तार से सुना। 5 दिन चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
अदालत की भूमिका आर्थिक नीति निर्धारित करना नहीं है बल्कि लोकतंत्र को स्थापित करना है: सीजेआई
सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल पर अपना जवाब सुनाया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 जजों की बेंच के बहुमत से कोर्ट का फैसला सुनाया। बेंच ने अपने फैसले में यह व्यवस्था दी कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य सरकार अधिग्रहित नहीं कर सकती है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कुछ फैसले इस मामले में गलत हैं कि व्यक्ति के सभी निजी संस्थान समुदाय के भौतिक संसाधन हैं। अदालत की भूमिका आर्थिक नीति निर्धारित करना नहीं है बल्कि आर्थिक लोकतंत्र को स्थापित करने की सुविधा प्रदान करना है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 मई को सुनवाई पूरी करने करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था जिसे मंगलवार को सुनाया गया।