सुप्रीम कोर्ट से राजद के पूर्व एमएलसी को बड़ी राहत, अदालत ने सुनील सिंह की सदस्यता बहाल करने का दिया फैसला

पटना। राजद (राष्ट्रीय जनता दल) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी और पूर्व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सुनील सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने उनके निष्कासन को अवैध करार देते हुए उनकी विधान परिषद सदस्यता बहाल करने का आदेश दिया है। यह फैसला बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि इससे न केवल राजद बल्कि पूरे विपक्ष को मजबूती मिली है। सुनील सिंह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कथित रूप से अशोभनीय टिप्पणी करने के कारण विधान परिषद से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 29 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब सुनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सुनील सिंह की सदस्यता बहाल की जाए और उनके निष्कासन को अवैध माना जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने बिहार विधान परिषद की आचार समिति द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन को भी रद्द कर दिया। सुनील सिंह के निष्कासन के बाद उनकी सीट पर उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। चुनाव आयोग ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब बिहार विधान परिषद के उपचुनाव की जरूरत नहीं पड़ेगी। अदालत ने चुनाव आयोग द्वारा जारी अधिसूचना को भी रद्द कर दिया है, जिससे स्पष्ट है कि सुनील सिंह अब अपनी पुरानी सदस्यता पर फिर से काबिज हो सकते हैं। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की धारा 142 का इस्तेमाल करते हुए न्याय किया है। धारा 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार होता है कि वह किसी भी न्यायिक मामले में संपूर्ण न्याय प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठा सकता है। इसी के तहत अदालत ने विधान परिषद द्वारा लिए गए फैसले को निरस्त कर दिया और सुनील सिंह को फिर से उनकी सीट पर लौटने का अधिकार दिया। यह फैसला बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। राजद के लिए यह एक बड़ी जीत मानी जा रही है, क्योंकि उनके वरिष्ठ नेता को फिर से विधान परिषद में लौटने का अवसर मिल गया है। वहीं, जदयू (जनता दल यूनाइटेड) और भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के लिए यह झटका माना जा रहा है, क्योंकि उनकी रणनीति के तहत ही सुनील सिंह को निष्कासित किया गया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले का आगामी विधानसभा और विधान परिषद चुनावों पर भी असर पड़ सकता है। राजद इसे न्याय की जीत बता रहा है, जबकि सत्ताधारी दलों को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल सुनील सिंह के लिए राहतभरा है, बल्कि बिहार की राजनीति में भी एक बड़ा बदलाव लाने वाला है। इस फैसले के बाद बिहार विधान परिषद में राजद की स्थिति मजबूत होगी और जदयू-भाजपा गठबंधन के लिए यह एक चुनौती बन सकता है। अब देखना होगा कि इस फैसले का राजनीतिक परिदृश्य पर क्या असर पड़ता है और विपक्षी दल इसे चुनावी मुद्दे के रूप में कैसे इस्तेमाल करते हैं।
