सुधाकर सिंह का नीतीश पर हमला, कहा- बड़े दावें करने वाली सरकार किसानों को बिजली नहीं दे रही
कैमूर। बिहार के कैमूर जिले के मोहनिया के दालचीनी रेस्टोरेंट में बक्सर सांसद सुधाकर सिंह ने प्रेस वार्ता किया। जहां उन्होंने कहा कि कैमूर और बक्सर संसदीय क्षेत्र से लगातार पानी और बिजली कटौती की सूचनाएं प्राप्त हो रही थी, खासतौर से जिस भयानक स्तर पर सूखा पड़ा हुआ है और राज्य मशीनरी जिस तरीके से किसानों के साथ छल और धोखा करने का काम कर रही है, यह ठीक नहीं। इतिहास में पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि एक तरफ जुलाई समाप्त हो रहा और दूसरी तरफ रोपनी का समय भी समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि बांधसागर और रिहंद डैम से सरकार द्वारा अपने हिस्से में जो पानी लेना चाहिए था, वह पूरा नहीं लिया गया। जिसके चलते पूरा सोन का इलाका रोहतास, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, पटना जहां धान की खेती होती है उन इलाकों में रोपनी नहीं हो पाई। किसानों के पास बोरवेल दूसरा वैकल्पिक स्रोत है, जिसके जरिए वह खेती करते हैं। लेकिन अब किसानों को उसपर भी आफत आने लगी है। उन्होंने कहा कि जिल में भयानक सूखा पड़ा है। बिहार राज्य सरकार के पास बिजली की पर्याप्त और सरप्लस व्यवस्था है तो किसानों को 20 घंटे बिजली क्यों नहीं दी जा रही है। मैंने जब मीडिया के जरिए एक महीना से लगातार सवाल किया तो सोमवार को जाकर सरकार नींद से जागी है और उन्होंने 8 घंटा से बढ़ाकर 14 घंटा बिजली देने का तय किया है। सरकार अव ये जवाब दें कि एक महीना में किसानों की फसल का जो नुकसान हुआ है उस नुकसान की भरपाई कौन करेगा। वहीं, उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लापरवाही इस हद तक की गई थी कि नहरों में जलाशय से पानी लेने के लिए सिंचाई विभाग के द्वारा एक पत्र जाता है कि हमको इतने क्यूसेक पानी की जरूरत है। लेकिन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जहां डैम है, वहां समय से पत्र नहीं गया। सरकारी उदासीनता के कारण पत्र देर से गया जिसके चलते पानी देरी से मिली। इस बीच दुख की बात यह है कि कैमूर-रोहतास के सीमा पर जो करमचट डैम दुर्गावती जलाशय परियोजना है, इसमें पानी होने के बाद भी आधी क्षमता पर नहर को चलाया गया। नीतीश कुमार की सरकार कहती है कि बिहार में बिजली सरप्लस है। लेकिन वह सरप्लस बिजली किसानों को नहीं देना चाहती है, ऐसी निकम्मी और भ्रष्ट सरकार दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलेगी। बिहार के सिंचाई मंत्री और मुख्यमंत्री खुद किसान नहीं हैं। जिस वजह से इन लोगों को किसानों के प्रति सहानुभूति नहीं है। मैं बिहार सरकार से मांग करता हूं कि किसानों के लिए 20 घंटे बिजली की व्यवस्था हो। साथ ही नहरों पर असामाजिक तत्वों द्वारा गैस लगा दी गई है उसे भी हटाया जाए, ताकि पानी का प्रवाह अंतिम छोर तक जाए।