पटना में 8 सितंबर से नगर निगम के कर्मचारियों की हड़ताल, सड़कों पर फिर लगेगा कूड़े का अंबार
पटना। बिहार की राजधानी पटना में एक बार फिर से नगर निगम के कर्मचारियों की हड़ताल होने जा रही है, जिससे शहर की सफाई व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। नगर निगम के कर्मचारियों ने 8 सितंबर से हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। इसके चलते शहर की सड़कों और गलियों में कूड़े का अंबार लगने की संभावना बढ़ गई है, जिससे लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। नगर निगम के कर्मचारियों की हड़ताल का मुख्य कारण उनकी लंबित मांगें हैं। इनमें नियमितीकरण, वेतन वृद्धि, और अन्य सुविधाओं को लेकर निगम कर्मचारियों की शिकायतें लंबे समय से चल रही हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे अपने अधिकारों और मांगों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को अब तक नजरअंदाज किया जा रहा है। हड़ताल का निर्णय इसी असंतोष के कारण लिया गया है। पटना नगर निगम चतुर्थवर्गीय कर्मचारी महासंघ के प्रधान महासचिव नंद किशोर दास ने कहा कि 2 सितंबर को संघ की बैठक होगी। इसमें हड़ताल को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। हड़ताल के पहले निगम कर्मी नगर आयुक्त के सामने प्रदर्शन भी करेंगे। 14 सूत्री मांगों को लेकर करीब 5 हजार कर्मी हड़ताल करने वाले हैं। इन मांगों में दैनिक कर्मी का स्थाईकरण, रिक्त पदों में भर्ती, निजीकरण, ठेका प्रथा समाप्त हो, ठेका पर जो मजदूर बहाल हो रहे हैं वो स्थाई हो, सफाई मजदूरों से 6 घंटे काम करने का समय निर्धारित किया जाए, ड्यूटी के बाद मीटिंग न बुलाई जाए, पर्व- त्योहार में छुट्टी मिले, 30 दिन के बजाय 26 दिन काम लिया जाए बाकी साप्ताहिक अवकाश मिले, सहित अन्य मांगें शामिल हैं। रिटायर्ड और मृत कर्मी के बचे हुए वेतन का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त ने 20 करोड़ की राशि आवंटित की थी और सभी अंचल को भी भेज दिया था। सभी रिटायर्ड और मृत कर्मी के परिवारों को 15 जून तक वेतन भुगतान करना था, लेकिन नगर आयुक्त ने इस राशि को वापस ले लिया और दूसरे मद में इस्तेमाल कर दिया। इससे बाकी निगम कर्मियों में काफी नाराजगी है। उनकी मांग है कि रिटायर्ड और मृत कर्मियों के छठा और सातवें वेतनमान, पेंशन, संशोधित बकाया अंतर राशि, बकाया पारिवारिक पेंशन का भुगतान हो। हड़ताल के चलते पटना की सफाई व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है। पटना एक घनी आबादी वाला शहर है, और यहां पर नियमित रूप से सफाई की जरूरत होती है। हड़ताल के दौरान कूड़े का उठाव नहीं हो पाएगा, जिससे शहर की सड़कों पर कूड़ा इकट्ठा होता जाएगा। यह न केवल शहर की सुंदरता को खराब करेगा, बल्कि स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। कूड़े के ढेर से मच्छर, मक्खी, और अन्य कीटाणुओं का प्रसार हो सकता है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि वे कर्मचारियों की मांगों को लेकर वार्ता के लिए तैयार हैं। प्रशासन का दावा है कि वह कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उनके मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन अब तक की वार्ताओं में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है, जिससे कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का फैसला करना पड़ा है। हड़ताल के दौरान पटना के नागरिकों को भी भारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। कूड़े का समय पर निस्तारण न होने से शहर में गंदगी फैल जाएगी। विशेषकर बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या बढ़ सकती है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है। इसके अलावा, कूड़े के ढेर से उत्पन्न होने वाली बदबू और गंदगी से लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा। नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच वार्ता अभी भी जारी है। उम्मीद है कि हड़ताल से पहले किसी समझौते पर पहुंचा जा सकेगा, ताकि शहर की सफाई व्यवस्था प्रभावित न हो। हालांकि, अगर यह वार्ता विफल हो जाती है, तो पटना के नागरिकों को अगले कुछ दिनों तक भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है। हड़ताल के चलते नगर निगम प्रशासन को वैकल्पिक उपायों पर विचार करना होगा। जैसे कि अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति, या कूड़े के निस्तारण के लिए प्राइवेट कंपनियों की मदद लेना। प्रशासन का कहना है कि वह स्थिति पर नजर बनाए हुए है और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। पटना के लोग अब इस हड़ताल के परिणामस्वरूप होने वाली समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार हो रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि हड़ताल कितनी लंबी चलती है और इससे शहर की सफाई व्यवस्था पर कितना असर पड़ता है।