दीघा में अतिक्रमण हटाने के दौरान जबरदस्त हंगामा, लोगों का टीम पर पथराव, मजिस्ट्रेट समेत कई घायल

पटना। दीघा थाना क्षेत्र में बुधवार को नगर निगम, पुलिस और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान भारी हंगामा हुआ। स्थानीय दुकानदारों, विशेष रूप से मुर्गा विक्रेताओं, ने इस अभियान का विरोध करते हुए प्रशासनिक टीम पर पथराव कर दिया। इस हमले में मजिस्ट्रेट सहित कई सरकारी कर्मचारी घायल हो गए। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल एक्शन लेना पड़ा और कई लोगों को हिरासत में लिया गया। नगर निगम और जिला प्रशासन की टीम बुधवार को दीघा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने पहुंची थी। इस इलाके में कई दुकानदार बिना अनुमति के सड़क किनारे दुकानें लगाए हुए थे, जिससे यातायात बाधित हो रहा था। प्रशासन ने पहले ही इस इलाके के दुकानदारों को अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन जब वे निर्धारित समय पर नहीं हटे, तो प्रशासन ने खुद कार्रवाई करने का निर्णय लिया। जैसे ही बुलडोजर और अन्य मशीनों के साथ प्रशासनिक टीम ने अवैध दुकानों को हटाना शुरू किया, स्थानीय दुकानदार भड़क गए। वे अपनी रोजी-रोटी पर संकट आने की बात कहकर विरोध करने लगे। देखते ही देखते विरोध उग्र हो गया और कुछ लोगों ने पुलिस और प्रशासन की टीम पर पथराव शुरू कर दिया। इस पथराव में कई पुलिसकर्मी, नगर निगम कर्मचारी और मजिस्ट्रेट घायल हो गए। पथराव अचानक शुरू हुआ, जिससे टीम को संभलने का मौका नहीं मिला। प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत पुलिस बल को बुलाया, जिसके बाद स्थिति नियंत्रण में आई। इस दौरान पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। घटना के बाद जिला प्रशासन की ओर से दीघा थाने में लिखित शिकायत दी गई। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। घटना के सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल वीडियो खंगाले जा रहे हैं, ताकि दोषियों की पहचान की जा सके। पटना प्रशासन ने साफ कर दिया है कि शहर में अवैध अतिक्रमण किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की हिंसक घटनाओं से कानून व्यवस्था बिगड़ती है, और दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि वे लंबे समय से इसी जगह पर दुकान चला रहे थे और यह उनकी रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया है। उनका आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया और अचानक उनकी दुकानों को तोड़ दिया गया। वहीं, प्रशासन का कहना है कि इन्हें पहले ही कई बार नोटिस दिया गया था, लेकिन दुकानदारों ने अनदेखी की। यह घटना एक बार फिर प्रशासन और आम जनता के बीच टकराव को दर्शाती है। अतिक्रमण हटाने की जरूरत शहर की साफ-सफाई और यातायात व्यवस्था के लिए होती है, लेकिन इसे सही ढंग से लागू करना भी जरूरी है। प्रशासन को चाहिए कि वह दुकानदारों को वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराए, ताकि उनकी आजीविका प्रभावित न हो। वहीं, लोगों को भी कानून का पालन करना चाहिए और विरोध के नाम पर हिंसा नहीं करनी चाहिए।

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