चार मास बाद निंद्रा से जागृत हुए श्रीहरि, खत्म हुआ चातुर्मास, इस वर्ष लगभग 12 शादी-ब्याह का लग्न मुहूर्त
- तुलसी-शालीग्राम विवाह कर मना देवोत्थान एकादशी
पटना। कार्तिक शुक्ल एकादशी सोमवार को भगवान नारायण के पूरे चार मास के बाद लोकहित हेतु निंद्रा से जागृत होने से चातुर्मास खत्म हो गया। हिंदू धर्मावलंबियों के शुभ मांगलिक कार्य अब आरंभ हो गए। चातुर्मास में श्रीहरि के शयन में होने से बंद हो गया था। इस वर्ष में तकरीबन 12 शादी-ब्याह का लग्न मुहूर्त है। एकादशी को उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के बाद भगवान नारायण का पूजन कर पूरे दिन उपवास रखा, फिर संध्या काल में शालीग्राम भगवान के साथ तुलसी का विवाहोत्सव मनाया। तुलसी के चारों ओर गन्ना लगाकर उसमें चुनरी का ओहार लगाकर पूरी निष्ठा व श्रद्धा से उनका विवाह का विधान पूरा किया गया। वहीं गोधूलि बेला में भक्तों ने शंख, मृदंग, झाल, डमरू, करताल बजाकर भगवान विष्णु को निंद्रा से जगाया।
आचार्य राकेश झा ने पदम पुराण के हवाले से एकादशी महात्म्य के बारे में बताया कि देवोत्थान एकादशी का व्रत करने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ, एक सौ राजसूय यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है। इस एकादशी को करने से जन्म जन्मांतर के पाप क्षय हो जाते हैं। इसके अलावे जन्म-मरण चक्र से भी मुक्ति मिल जाती है। आज श्रद्धालुओं ने तुलसी विवाह में गीत, भजन, तुलसी नामाष्टक, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया।