भाजपा विधायक के बयान पर तेजस्वी का हमला, कहा- वहां नफरत फैलाने वाले लोगों को दिया जाता है इनाम में टिकट
पटना। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने महाराष्ट्र के बीजेपी विधायक नितेश राणे के हालिया बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। नितेश राणे, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे हैं, ने अहमदनगर में एक विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने मस्जिदों के अंदर घुसकर “चुन-चुनकर मारने” की धमकी दी थी। यह बयान हिंदू समाज आंदोलन के दौरान आया था, और इसमें उन्होंने “रामगिरी महाराज” के खिलाफ किसी भी टिप्पणी के परिणामस्वरूप हिंसा की चेतावनी दी थी। वही महाराष्ट्र में भाजपा विधायक के द्वारा दिए गए इस बयान के बाद सोमवार को बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर सोशल मीडिया के माध्यम से कई तीखे हमले किए। इस बयान के बाद देशभर में राजनीतिक हलकों में हंगामा मच गया। तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह देश में नफरत फैलाने वाले तत्वों को बढ़ावा देती है। उन्होंने राणे के बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे संविधान और कानून के खिलाफ बताया। तेजस्वी ने यह भी कहा कि जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खाड़ी देशों में जाकर “सजदा” करते हैं और गांधी तथा बुद्ध की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर उनके अपने ही पार्टी के नेता मस्जिदों में हिंसा की धमकी देते हैं। तेजस्वी ने मोदी पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री ऐसे नेता को माफ करेंगे या उसे बीजेपी का टिकट देकर पुरस्कृत करेंगे। तेजस्वी यादव के इस बयान का उद्देश्य बीजेपी पर दबाव बनाना और उसे कटघरे में खड़ा करना है। उनके अनुसार, बीजेपी और उसके सहयोगी संगठन समाज में विभाजन और नफरत फैलाने का कुचक्र रचते हैं। उन्होंने बीजेपी की नीतियों को देश, संविधान, समानता और सौहार्द के लिए खतरनाक बताया। नितेश राणे के इस बयान से राजनीतिक माहौल और भी गर्म हो गया है। बीजेपी के लिए यह एक मुश्किल स्थिति हो सकती है, खासकर जब पार्टी संविधान और कानून के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर सवालों के घेरे में आ रही है। विपक्षी दल, विशेष रूप से तेजस्वी यादव जैसे नेता, इस मुद्दे का उपयोग बीजेपी के खिलाफ जनसमर्थन जुटाने के लिए कर रहे हैं। यह मामला सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सद्भाव और संविधान की रक्षा से भी जुड़ा है। तेजस्वी यादव जैसे नेताओं की प्रतिक्रिया यह संकेत देती है कि विपक्षी दल इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं और इसे भविष्य की राजनीतिक लड़ाई में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। इस पूरे विवाद से यह स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति में धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दों का किस तरह से उपयोग किया जा सकता है और किस तरह से इन्हें लेकर राजनीतिक माहौल गरमाया जा सकता है।