फतुहा जिला परिषद की दक्षिणी पूर्वी सीट जीतने को प्रत्याशियों में होड़, लेकिन शिक्षा व पलायन आज भी ज्यों की त्यों, कौन करेगा उद्दार
फतुहा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की बिगुल बज चुकी है। पटना के फतुहा प्रखंड में 22 अक्टूबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। 29 नवम्बर को मतदान होना है। अभी से ही जिला परिषद की 34वां भाग वाली दक्षिणी पूर्वी सीट को जीतने के लिए पटना से लेकर फतुहा तक के प्रत्याशियों में होड़ मची है। लेकिन जिला परिषद की सबसे पुरानी सीट वाली क्षेत्र में शिक्षा व पलायन सबसे बड़ी समस्या आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। अब तक किसी भी जिला पार्षद ने इसकी तस्वीर बदलने की कोशिश नहीं की है। इस जिला परिषद क्षेत्र के तहत आठ पंचायत मासाढी, मानसिंहपुर, जैतिया, मोहिउदीनपुर, कोल्हर, गोरी पुंदाह, मोहिउदीनपुर व पितम्बरपुर पंचायत आते हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि मोहिउदीनपुर पंचायत के श्रीरामपुर, गोरी पुंदाह पंचायत के अबदालचक, मासाढी पंचायत के दौलतपुर व जैतिया पंचायत के चक्रहिमा गांव में आजादी के इतने साल गुजर जाने के बाद भी बच्चों को स्कूल नसीब नहीं हुआ। जहां स्कूल का भवन है भी तों वहां आज तक शिक्षक की प्रतिनियुक्ति नहीं हुई। हालात यह है कि इन गांवों के नौनिहाल अपने छोटे-छोटे पैरों से लंबी दूरी तय कर दूसरे गांव के स्कूल में पढ़ने जाने को मजबूर हैं। वहीं जैतिया, मासाढी, पितम्बरपुर, गोरी पुंदाह व मोहिउदीन पंचायत के हजारों लोग अपने जीविका के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं तथा आज भी कर रहे हैं। कोरोना काल में भी पलायन की संख्या बढी है।
देखा जाए तो तीसरी बड़ी समस्या इन क्षेत्रों में बहने वाली बरसाती नदियों पर बने तटबंधों के बार बार टूट जाने की है। तटबंध टूटते ही इस जिला परिषद का क्षेत्र बाढ़ प्रभावित हो जाता है। फसले बर्बाद हो जाती है। किसान कर्ज के शिकार हो जाते हैं और रोजी-रोटी के लिए पलायन कर जाते हैं। लेकिन आज तक टूटे तटबंधों की ठीक से न तो मरम्मत हो पायी है और न ही पलायन को रोकने के लिए कोई अर्थव्यवस्था शुरू हो पायी है। अहम बात यह है कि इस क्षेत्र की आधी आबादी भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। न तो उनके लिए कोई गर्ल्स स्कूल है और न ही राजस्थान की तरह कोई महिला पंचायत है जहां वह कोई कार्य कर आमदनी प्राप्त कर सके और अपनी बात रख सके।
देखा जाए तो इस बार दर्जनों प्रत्याशी जिला परिषद के इस सीट पर भाग्य अजमाने को तैयार हैं। निवर्तमान जिला पार्षद भी इस बार दुबारा मैदान जीतने को तैयारी में जुटे हैं। उनका दावा है कि उन्होंने अपने क्षेत्र में ग्रामीणों के आशीर्वाद से काफी विकास किया है। पलायन व स्कूल के विषय पर भी कई बार जिला परिषद में आवाज भी उठायी है। उन्होंने आगे भी विकास करने का दावा किया है। वहीं कई प्रतिद्वंद्वी में पितम्बरपुर पंचायत के रहने वाले रंजीत कुमार भी अपनी दावा रखते हुए बताते हैं कि पूर्व के प्रत्याशी के कारण ही इस क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया है। वैसे तो और प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी दावा करते हुए विकास करने की बात कह रहे हैं।