लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत बिगड़ी, दिल्ली एम्स में कराया गया भर्ती
नई दिल्ली। प्रख्यात लोक गायिका और पद्मभूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले एक सप्ताह से वे स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शनिवार की सुबह उन्हें एम्स के आपातकालीन वार्ड में भर्ती करना पड़ा। उनके स्वास्थ्य को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक हेल्थ बुलेटिन जारी नहीं किया गया है, लेकिन उनके प्रशंसकों में चिंता का माहौल है। शारदा सिन्हा के निजी जीवन में हाल के दिनों में कई दुखद घटनाएँ हुई हैं। कुछ समय पहले ही उनके पति का ब्रेन हैमरेज के कारण निधन हो गया था, जिससे वे गहरे सदमे में थीं। पति के निधन का यह आघात उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल गया है। पति की मृत्यु के बाद से ही शारदा जी मानसिक तनाव में थीं और इसका प्रभाव उनकी शारीरिक स्थिति पर भी पड़ा। उनके लिए सामान्य रूप से भोजन करना और दिनचर्या को बनाए रखना मुश्किल हो गया था। इन्हीं समस्याओं के कारण उनके परिवार ने उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराने का निर्णय लिया। शारदा सिन्हा ने हाल ही में अपने पति के प्रति अपने प्रेम और यादों को सोशल मीडिया पर साझा किया था। उन्होंने अपने फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा था, “लाल सिंदूर बिन मंगियों न सोभे।” यह वाक्य उनके दिल की भावनाओं को दर्शाता है, और यह बताता है कि अपने पति के बिना उनके जीवन में एक बड़ा खालीपन आ गया है। इस पोस्ट के ज़रिए उन्होंने अपने पति के प्रति अपनी असीम श्रद्धा और प्रेम को अभिव्यक्त किया था, और यह कहा था कि उनकी मधुर स्मृतियाँ ही उन्हें अपनी संगीत यात्रा जारी रखने की प्रेरणा देंगी। शारदा सिन्हा का भारतीय लोक संगीत में एक महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हें विशेष रूप से बिहार के महापर्व छठ के गीतों के लिए जाना जाता है। उनके गीतों में बिहारी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है, और इस कारण उनका संगीत न केवल बिहार में, बल्कि पूरे देश में लोकप्रिय है। छठ पर्व के दौरान उनका संगीत घर-घर में गूंजता है, और उनकी आवाज़ में गाए गए गीत लोक चेतना और संस्कृति को प्रकट करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने बॉलीवुड में भी कई गाने गाए हैं। सलमान खान की पहली फिल्म “मैंने प्यार किया” में उनका गाया हुआ गीत आज भी श्रोताओं के दिलों में बसा हुआ है। इस गाने ने उन्हें देशव्यापी पहचान दिलाई, और उनकी आवाज़ में एक खासियत है जो सुनने वालों को गहरे तक प्रभावित करती है। शारदा सिन्हा के बीमार होने की खबर ने उनके चाहने वालों को चिंता में डाल दिया है। उनके स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर सभी प्रशंसक ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि वे जल्द ही स्वस्थ होकर घर लौटें और उनकी मधुर आवाज़ एक बार फिर से छठ के पर्व पर सुनाई दे। बिहार और अन्य क्षेत्रों में छठ पर्व का आयोजन बेहद धूमधाम से होता है, और इसमें शारदा सिन्हा के गीतों का विशेष स्थान होता है। उनकी आवाज़ के बिना यह पर्व अधूरा सा लगता है। उनके गीतों के बिना छठ पर्व की कल्पना करना कठिन है, क्योंकि उनकी आवाज़ छठ की परंपराओं और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गई है। शारदा सिन्हा की मधुर आवाज़ ने उन्हें भारत में लोक संगीत के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है। उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति, विशेषकर बिहार की संस्कृति, को पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। उनके गीतों में भारत की मिट्टी की खुशबू है, जो श्रोताओं को अपनी संस्कृति से जोड़ती है। इस कठिन समय में उनके स्वास्थ्य को लेकर सबकी प्रार्थनाएं उनके साथ हैं।