November 22, 2024

पटना के जिला न्यायालय में कल सरेंडर करेंगे मुन्ना शुक्ला, बृजबिहारी हत्याकांड में मिली है उम्रकैद की सजा

पटना। बिहार के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड मामले में कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके बाद अब तो नया अपडेट आया है उसके मुताबिक 16 अक्टूबर को पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला पटना जिला कोर्ट में सरेंडर करेंगे।  मुन्ना शुक्ला को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। बृजबिहारी प्रसाद की हत्या 13 जून 1998 को पटना के आईजीआईएमएस (इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में की गई थी। उस समय बृजबिहारी बिहार सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के पद पर थे। हत्या की यह घटना बिहार में उस दौर की खतरनाक आपराधिक राजनीति की ओर इशारा करती है, जहां राजनीतिक लाभ और प्रभाव के लिए हत्याएं एक आम बात बन गई थीं। यह हत्याकांड तब और ज्यादा सुर्खियों में आया जब इसमें मशहूर गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम सामने आया। श्रीप्रकाश शुक्ला को इस हत्या को अंजाम देने वाला माना गया था, और यह पूरी घटना एक कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के रूप में देखी गई। इस हत्याकांड में कई लोगों पर आरोप लगे, जिनमें से मुन्ना शुक्ला, मंटू तिवारी, सूरजभान सिंह और अन्य प्रमुख नाम शामिल थे। हालांकि, 2017 में पटना हाई कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला और अन्य को इस मामले में बरी कर दिया था, लेकिन इस फैसले के खिलाफ बृजबिहारी प्रसाद की पत्नी रामा देवी और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 4 अक्टूबर 2024 को अपना फैसला सुनाते हुए मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा, जबकि सूरजभान सिंह और राजन तिवारी को बरी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, मुन्ना शुक्ला पर दबाव बढ़ गया कि वे आत्मसमर्पण करें। सूत्रों के अनुसार, 16 अक्टूबर को वे पटना जिला न्यायालय में आत्मसमर्पण करेंगे। इसके साथ ही, मंटू तिवारी भी इसी दिन आत्मसमर्पण कर सकते हैं। आत्मसमर्पण के बाद, उन्हें जेल भेजा जाएगा, और इससे इस मामले में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। इससे पहले मुन्ना शुक्ला अपने सगे-संबंधियों से मिलने के लिए लालगंज स्थित अपने पैतृक आवास पर गए थे। बृजबिहारी हत्याकांड और इसमें शामिल लोगों की राजनीति पर हमेशा से गहरी छाप रही है। मुन्ना शुक्ला एक प्रभावशाली नेता माने जाते रहे हैं, और उनका नाम कई राजनीतिक विवादों में जुड़ा रहा है। उनकी उम्रकैद की सजा और आत्मसमर्पण का बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। जहां एक ओर जनता के बीच इस मामले में न्याय की भावना को बल मिलेगा, वहीं दूसरी ओर, उनके समर्थकों के लिए यह एक बड़ा झटका होगा। इस पूरे प्रकरण ने बिहार की राजनीति में अपराध और सत्ता के गठजोड़ को एक बार फिर से उजागर किया है। बिहार की राजनीति में अपराध और हिंसा का इतिहास पुराना है, लेकिन इस हत्याकांड ने राज्य में क्राइम और पॉलिटिक्स के संबंधों को सबसे निचले स्तर तक लाकर रख दिया था। मुन्ना शुक्ला और अन्य आरोपियों का इस तरह से नाम आना इस बात का प्रमाण है कि बिहार की राजनीति में कई बार अपराधियों का प्रभाव कितना गहरा होता है। अब जब मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं, तो न्यायिक प्रक्रिया का अगला चरण भी महत्वपूर्ण होगा। कानून और न्याय व्यवस्था के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ाने के लिए इस तरह के मामलों में तेजी से कार्रवाई होना आवश्यक है। इस पूरे मामले ने बिहार के न्यायिक प्रणाली पर भी सवाल खड़े किए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने न्याय को पुनर्स्थापित किया है। यह देखा जाना बाकी है कि इस आत्मसमर्पण के बाद बिहार की राजनीति और समाज में क्या बदलाव आते हैं।

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