श्रावणी मेले में सिक्कों का जबरदस्त अर्थशास्त्र, मांग बढ़ने के कारण 100 के नोट के बदले मिल रहे 90 रुपए के सिक्के
पटना। विश्व प्रसिद्ध कांवरिया मेला अपनी कई विशेषताओं के लिए जाना जाता है। करीब 100 किलोमीटर लंबे कांवरिया पथ पर दो महीने तक श्रद्धालुओं के पांवों की रुन-झुन के बीच सिक्कों की खनक भी खूब गूंजती है। इसका अर्थशास्त्र भी लाखों में है। सावन में कांवरिया पथ पर सिक्कों की अत्यधिक मांग रहने के कारण वे नोटों पर भारी पड़ रहे हैं। 100 रुपये का नोट 90 रुपये के सिक्के देने में ही सक्षम हो रहा है। बता दे की पथ पर कांवरियों को सिक्कों की खूब जरूरत पड़ती है। श्रद्धालु कांवरिया पथ पर विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियों पर चढ़ाने से लेकर दरिद्रनारायण को दान देने में इनका इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में पर्याप्त सिक्के जुटाने के लिए अधिकांश कांवरिये नोट से सिक्के बदलने वाले कारोबारियों पर ही निर्भर रहते हैं। इन दिनों एक एक कांवरिया हर पड़ाव पर उनसे सौ-दो सौ के नोट से सिक्के बदल रहे हैं। सौ का नोट देने पर शिवभक्तों को 90 रुपये के सिक्के मिल जाते हैं।
100 रुपये में 10 रुपये की कमाई का अर्थशास्त्र
दर्वेपट्टी के पास सिक्का बदल रहे रोशन कुमार, श्याम यादव आदि ने बताया कि कांवरिया को 100 के नोट पर 90 रुपये के सिक्के दिए जाते हैं। उन्हें 10 रुपये का मुनाफा होता है। इसी के साथ कारोबारी को लगभग इतना ही मुनाफ खुदरे पैसे के बदले नोट देने के वक्त भी होता है। जब भिखारी या धार्मिक स्थान वाले सिक्के के बदले नोट प्राप्त करने उनके पास आते हैं तो वे उनसे 110 रुपये के सिक्के लेकर उन्हें 100 रुपये का नोट देते हैं। कांवरिया पथ पर लाल-हरे प्लास्टिक बिछे टेबुल पर सिक्कों की ढेर के साथ रोशन कुमार जैसे दर्जनों नोट बदलने वाले कारोबारी मिल जाएंगे। वे 100 रुपये में ही 10 रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं।