बिहार में अब ऑटो में जा सकेंगे स्कूली बच्चे, गेट बंद करना अनिवार्य, जून तक जीपीएस भी लगाने होंगे

पटना। बिहार में अब स्कूली बच्चों को स्कूल ले जाने और लाने के लिए ऑटो रिक्शा का इस्तेमाल दोबारा शुरू हो सकेगा। इस संबंध में हाल ही में एडीजी ट्रैफिक सुधांशु कुमार ने ऑटो रिक्शा संघ के साथ बैठक की। बैठक में यह फैसला लिया गया कि कुछ शर्तों और सुरक्षा मानकों के साथ ऑटो से बच्चों की आवाजाही की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, ई-रिक्शा पर यह प्रतिबंध अब भी बरकरार रहेगा।
सुरक्षा होगी पहली प्राथमिकता
पटना जिला ऑटो रिक्शा चालक संघ के अध्यक्ष पप्पू यादव ने बताया कि उन्हें सरकार की ओर से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन अंतिम दस्तावेज आना अभी बाकी है। उन्होंने बताया कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी ऑटो चालकों की सहमति बनी है कि सुरक्षा मानकों का पूरा पालन किया जाएगा। इनमें सबसे जरूरी शर्त ऑटो का गेट बंद रखना और जीपीएस ट्रैकर लगाना शामिल है।
जीपीएस लगाना होगा अनिवार्य
ऑटो चालकों को जून माह तक अपने वाहनों में जीपीएस ट्रैकर लगाना अनिवार्य किया गया है। हालांकि, ऑटो चालक संघ इस पर विचार कर रहा है कि जीपीएस की लागत ज्यादा न हो, जिससे चालकों पर आर्थिक बोझ न बढ़े। यदि ट्रैकर महंगे होते हैं तो कोई विकल्प निकाला जाएगा। यह व्यवस्था बच्चों की सुरक्षा और निगरानी के लिए अत्यंत आवश्यक मानी जा रही है।
प्रतिबंध के पीछे थी सुरक्षा की चिंता
1 अप्रैल से बिहार में स्कूली बच्चों को ऑटो और ई-रिक्शा से लाने-ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह फैसला बिहार पुलिस मुख्यालय के यातायात विभाग ने लिया था। कारण था – ऑटो और ई-रिक्शा में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाना और सुरक्षा मानकों की लगातार अनदेखी। इस फैसले के विरोध में ऑटो चालकों ने प्रदर्शन किया और कई अभिभावकों ने भी इस निर्णय को अव्यवहारिक बताया।
अचानक लगे प्रतिबंध से बढ़ी थीं परेशानियां
प्रतिबंध के बाद ऑटो चालकों के साथ-साथ बच्चों और अभिभावकों को भी खासी परेशानी हुई। अचानक व्यवस्था बदलने से बच्चों की स्कूल आने-जाने की व्यवस्था प्रभावित हुई और निजी साधनों पर निर्भरता बढ़ गई। इससे न सिर्फ आर्थिक बोझ बढ़ा बल्कि स्कूल पहुंचने में भी दिक्कतें आईं। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रैफिक विभाग ने 9 अप्रैल तक कार्रवाई स्थगित कर दी और ऑटो संघ के साथ बैठक की।
कई हजार ऑटो और ई-रिक्शा स्कूलों से जुड़े
पटना और उसके आस-पास के इलाकों में करीब 4,000 ऑटो और ई-रिक्शा स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने में लगे हुए हैं। इनमें लगभग 1,000 ऑटो पटना नगर निगम क्षेत्र में तथा बाकी 3,000 से अधिक ग्रामीण और प्रखंड क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इनका अचानक बंद हो जाना कई परिवारों के लिए असुविधा का कारण बन गया था।
कॉन्वेंट स्कूलों में अधिक निर्भरता
सबसे अधिक ऑटो और ई-रिक्शा की जरूरत कॉन्वेंट स्कूलों में देखी जाती है। इन स्कूलों का नियम होता है कि वे उन्हीं बच्चों को दाखिला देते हैं जो स्कूल से 2 किलोमीटर के दायरे में रहते हों। लेकिन कई बार अभिभावक दूर के पते बताकर बच्चों का एडमिशन करवा लेते हैं, जिसके कारण बच्चों को लाने-ले जाने के लिए ऑटो की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में ऑटो ही एकमात्र विकल्प बन जाता है। सरकार और प्रशासन द्वारा स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर उठाया गया यह कदम स्वागत योग्य है। हालांकि, इसमें ऑटो चालकों की भी भागीदारी जरूरी है ताकि तय मानकों का पालन हो सके और बच्चों की यात्रा सुरक्षित और सुविधाजनक बन सके। उम्मीद है कि जीपीएस और अन्य सुरक्षा उपायों के साथ ऑटो सेवा अब और अधिक जिम्मेदार बनेगी।
