September 21, 2024

नाग पूजन से मिलेगी कालसर्प व सर्पदोष से छुटकारा, कुंवारों के लिए है खास

सावन की तीसरी सोमवारी पर नागपंचमी का बना दुर्लभ संयोग

पटना। सोमवार को सावन का तीसरा सोमवार और नाग पंचमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है। सोमवार को हस्त नक्षत्र और सिद्ध योग में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। इस दुर्लभ संयोग में नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी। नागों के प्रजातियों में अनंत, वासुकि, शेष, पद्मनाभ, कंबल, कर्कोटक, अश्व, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालीय तथा तक्षक प्रमुख है। देवी भागवत में प्रमुख नागों का नित्य स्मरण किया गया है। ऋषि-मुनियों ने नागोपासना में अनेक व्रत-पूजन का विधान बताएं है।
कर्मकांड विशेषज्ञ पं. राकेश झा शास्त्री ने बताया कि जहां सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को उत्तर भारत में नाग पूजा की जाती है, वहीं दक्षिण भारत में यह पर्व कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार सावन महीने की पंचमी नाग देवता को समर्पित है। यही कारण है कि इसे नागपंचमी कहा जाता है। इस दिन सर्पों के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। दूध और लावा चढ़ाया जाता है। भगवान भोलेनाथ को सर्प अत्यंत प्रिय हैं इसीलिए उनके प्रिय माह सावन में नाग पंचमी का त्योहार आता है, जिसे श्रद्धापूर्वक विधि-विधान से मनाने पर भगवान शिव प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान देते हैं। नाग पंचमी का पर्व नागों के साथ जीवों के प्रति सम्मान, उनके संवर्धन एवं संरक्षण की प्रेरणा देता है। यह बल, पौरुष, ज्ञान, वृद्धि एवं तर्क शक्ति के परीक्षण का पर्व है।
नाग पूजन से मिलेगी कालसर्प व सर्पदोष से छुटकारा
ज्योतिषाचार्य रुपेश पाठक ने गरुड़ पुराण के हवाले से बताया कि सावन के कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष को नाग पंचमी के दिन व्रत भी रखते हैं। व्रत करने वाले श्रद्धालु मिट्टी या आटे का सर्प बनाकर उन्हें विभिन्न रंगों से सजाते हैं और सजाने के बाद फूल, खीर, दूध, लावा, धुप, दीप आदि से उनकी पूजा करते हैं। नाग देवता को पंचमी तिथि का स्वामी माना जाता है। इस दिन सर्प के प्रकोप से बचने के लिए नाग पंचमी की पूजा की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है उन्हें इस दिन नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से कुंडली का यह दोष समाप्त हो जाता है। नाग पूजा के बाद “ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात” मंत्र से इनकी प्रार्थना करने से सर्पदोष एवं कालसर्प दोष के मुक्ति मिलती है। इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
कुंवारों के लिए खास
पंडित झा के मुताबिक इस सोमवारी कुंवारों के लिए खास संयोग है। शिव की सच्चे मन से पूजा करने से उनका विवाह शीघ्र हो जायेगा। जलाभिषेक, रुद्री पाठ तथा ॐ नम: शिवाय का जाप करने से शिव जी मनचाहा वरदान भी देंगे, जो विवाहित हैं उन्हें सुखमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इस सोमवारी पर रुद्राभिषेक, शिवसहस्रनाम, शिव पंचाक्षर, शिव महिम्न, रुद्राष्टक, शिव कवच तथा शिव तांडव स्त्रोत्र का 108 बार पाठ करने से दरिद्रता का ह्रास और शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
मनोकामना पूर्ति के लिए शिव को ये करे अर्पित
पुत्र प्राप्ति के लिए : दूध व घी से अभिषेक तथा धतूरे का फूल
दीर्घायु : अकावन की फूल
सुख प्राप्ति : हरसिंगार का पुष्प
शत्रु नाश : घी व सरसो तेल से अभिषेक तथा कुसुम का फूल
सुयोग्य पत्नी : बेला का फूल
मोक्ष प्राप्ति : आक, अलसी या समीपत्र
लक्ष्मी प्राप्ति : दूध व ईख रस से अभिषेक तथा शंख पुष्प

राशि के अनुसार नाग पंचमी को करे ये उपाय, राहु दोष व कालसर्प दोष से मुक्ति
मेष- नाग पंचमी के दिन रुद्राष्टाधायी का पाठ करें।
वृष- नाग पंचमी के दिन बहते हुए पानी में तांबे का टुकड़ा बहाएं।
मिथुन- नाग पंचमी के दिन किसी कुष्ट रोगी को मूली दान करें।
कर्क- नाग पंचमी के दिन बहते हुए पानी के स्रोत में शीशा या नारियल प्रवाहित करें।
सिंह- नागपंचमी के दिन नारियल और ग्यारह दाने बादाम को लाल रुमाल में बांध कर अपनी मनोकामना को कहते हुए मिट्टी में दबा दें।
कन्या- नागपंचमी के दिन शुभ मुहूर्त में किसी गरीब को 100 ग्राम धनिया दान करें।
तुला- नागपंचमी के दिन जौ के दाने को पक्षियों को खिलाएं।
वृश्चिक- इस दिन शिव पूजन के बाद विध्नहर्ता गणेश की दूर्वा एवं मोदक चढ़ाएं।
धनु- नागपंचमी के दिन चींटियों को आटा या मीठा खिलाएं।
मकर- नाग पंचमी के दिन किसी जरूरतमंद को तिल और जौ का दान करें।
कुंभ- नाग पंचमी के दिन आपको बहते हुए जल में कोयला प्रवाहित करे।
मीन- इस दिन अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करें।

सावन की तीसरी सोमवारी पर शिव पूजन का शुभ मुहूर्त
गुली काल मुहूर्त: संध्या 02:11 बजे से 03:49बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:07 बजे से 12:59 बजे तक
सिद्धि योग: प्रात: 05:26 बजे से शाम 05:17 बजे तक

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