February 4, 2025

सांसद रामकृपाल यादव ने उठाया आर्यभट्ट की कर्मभूमि को एस्ट्रो टूरिज्म के रूप में विकसित करने की मांग

पटना।पाटलीपुत्र संसदीय क्षेत्र के सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव ने बुधवार को शून्‍य काल में लोकसभा में आर्यभट्ट की कर्मभूमि पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के मसौढ़ी के तारेगना डीह और दानापुर के खगौल चक्रदाहा को एस्ट्रो टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित करने व तारेगना डीह में आर्यभट्ट के नाम पर वेधशाला का निर्माण कराए जाने का मामला उठाया। उन्‍होंने  केंद्र सरकार से मसौढी के तारेगना डीह व दानापुर के खगौल चक्रदाहा को एस्‍ट्रो टूरिज्‍म केंद्र के रूप में विकसित करने व तारेगना डीह में आर्यभट्ट के नाम पर वेधशाला का निर्माण कराने की मांग केंद्र सरकार से की। उन्‍होंने मसौढी प्रखंड के तारेगना डीह और दानापुर प्रखंड के खगौल के चक्रदाहा का नाम विश्व के महानतम गणितज्ञ और खगौलशास्त्री आर्यभट्ट से जुड़ा होने की चर्चा करते हुए कहा कि आर्यभट्ट का जन्म कुसुमपुर में हुआ था जो वर्तमान में पटना या पाटलिपुत्र कहलाता है। दानापुर प्रखंड के खगौल के चक्रदाहा में उन्होंने आश्रम बनाया था तथा मसौढी के तारेगना डीह में वेधशाला का निर्माण किया था। उन्‍होंने कहा कि ऐसी मान्यताएं है कि आर्यभट्ट ने तारों की गणना मसौढी के तारेगना से ही की थी और इसीलिए उसका नाम आज तारेगना है।। आर्यभट्ट ने ही सर्वप्रथम कहा था कि पृथ्वी अपनी धूरी पर घूमती है। बीजगणित का जनक भी आर्यभट्ट को माना जाता है। पाई का 4दशमलव तक शुद्ध गणना आर्यभट्ट ने ही की थी जिसका उपयोग आज पूरे विश्व के वैज्ञानिक हर खगौलीय मिशन में करते हैं। सांसद ने अपने भाषण में यह भी कहा कि वर्ष 2009 में जब सदी का सबसे बडा पूर्णसूर्यग्रहण लगा था तो उस समय अमेरिकी रिसर्च संस्थान नासा ने कहा था कि मसौढी के तारेगना से सबसे बेहतर तरीके से पूर्ण सूर्यग्रहण का अवलोकन किया जा सकता है। उस समय देश – विदेश के कई नामी-गिरामी वैज्ञानिकों का भारी जुटान मसौढी के तारेगना में हुआ था। उक्त सूर्यग्रहण के दौरान आर्यभट्ट से जुड़े मसौढी के तारेगना डीह का नाम विश्व के फलक पर प्रमुखता से आया था। सांसद ने यह भी कहा कि हमलोगों के लिए यह सौभाग्य और गर्व की बात है कि देश के पहले उपग्रह का नाम आर्यभट्ट रखा गया था। और आज हमारा पूर्णतः स्वदेशी चन्द्रयान-2 मिशन सफलता के नित्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। जब सितंबर में लैंडर और रोवर की चन्द्रमा पर लैंडिग होगी तब हम यह सफलता प्राप्त करने वाला विश्व का चौथा देश होगें। सांसद ने कहा कि इस ऐतिहासिक मौके पर लोकसभा के माध्यम से केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि विश्व के महानतम गणितज्ञ और खगौलशास्त्री आर्यभट्ट की कर्मभूमि पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के मसौढी के तारेगना डीह तथा दानापुर के खगौल चक्रदाहा को एस्ट्रो टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित किया जाए तथा मसौढी के तारेगना डीह में आर्यभट्ट के नाम पर वेधशाला का निर्माण कराया जाए।

 

अतिक्रमित व जीर्णशीर्ण पडी है आर्यभट्ट की वेधशाला   

 

मसौढी के तारेगनाडीह स्थित आर्यभट्ट की वेधशाला सरकार की उपेक्षा के कारण आज भी अतिक्रमित व जीणशीर्ण स्थिति में पडी हुई है। कभी बराबर पहाड की उंचाई को इसी वेधशाला से आसानी से देखा जा सकता था। लेकिन बाद के दिनों में सरकार की अनदेखी की वजह से इस विश्‍व प्रसिद्ध धरोहर को धीरे-धीरे काटकर आज लगभग समतल कर दिया गया है। और उसपर आज अनुसूचित जाति के कुछ लोगों ने कब्‍जा कर अपना मकान बना लिया है। गौरतलब है कि जब 22 जुलाई,2009 को इस सदी का सबसे बडा पूर्ण सूर्यग्रहण लगनेवाला था तब यहां देशी- विदेशी खगौलशास्त्रियों और सैलानियों का लगगभग एक पखवारे तक जमावडा लगा था और वे इस जीर्णशीर्ण वेधशाला को देखने आए हुए थे। खुद सूबे के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल के कई सहयोगियों के साथ यहां पूर्ण सूर्यग्रहण का अवलोकन करने पहुंचे थे। लेकिन उस खगौलीय घटना के बाद किसी ने इसकी सुधि लेना मुनासिब नहीं समझा और आज भी यह अपनी बेरूनी पर आंसू बहाने को मजबूर है।

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