December 22, 2024

मुकेश सहनी का नीतीश पर तंज, कहा- हर चीज की एक उम्र होती है, अब उनको लेना चाहिए हैप्पी रिटायरमेंट

पटना। बिहार की राजनीति में अक्सर नेता एक-दूसरे पर कटाक्ष करते रहते हैं, और हाल ही में वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक तीखा बयान दिया है। मंत्री अशोक चौधरी के एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की उम्र और उनकी राजनीतिक भूमिका को लेकर बहस छिड़ गई है। अशोक चौधरी के पोस्ट को लेकर कई नेताओं ने नीतीश कुमार को राजनीति से रिटायर होने की सलाह दी है, जबकि कुछ अन्य नेताओं का मानना है कि नीतीश के नेतृत्व में बिहार को अभी भी सुशासन की जरूरत है। मुकेश सहनी से जब अशोक चौधरी के पोस्ट पर सवाल किया गया, तो उन्होंने नीतीश कुमार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि “हर चीज की एक उम्र होती है, और अब नीतीश कुमार को हैप्पी रिटायरमेंट लेना चाहिए।” सहनी ने कहा कि वर्तमान समय में नीतीश कुमार के बयान लोगों को पसंद नहीं आ रहे हैं, और वे कई बार ऐसी बातें कह देते हैं जिन्हें नहीं कहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि नीतीश कुमार नई पीढ़ी को कमान सौंपें और राजनीति से एक सुखद अंत के साथ रिटायर हो जाएं। मुकेश सहनी ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि अब नई पीढ़ी के नेताओं, जैसे कि वह खुद, को राजनीति में आगे आने का मौका मिलना चाहिए। सहनी का यह बयान नीतीश कुमार की उम्र और उनकी वर्तमान राजनीतिक स्थिति को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नीतीश कुमार को अब पीछे हटकर युवाओं को नेतृत्व सौंपना चाहिए।मुकेश सहनी के इस कटाक्ष पर डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने सहनी के बयानों को हड़बड़ी में उठाया गया मुद्दा बताया। विजय सिन्हा ने कहा कि जो लोग नीतीश कुमार की उम्र और स्वास्थ्य पर सवाल उठा रहे हैं, वे बस बहाने ढूंढ रहे हैं। उन्होंने मुकेश सहनी पर आरोप लगाया कि वह अपराध और भ्रष्टाचार से जुड़े लोगों के साथ हैं और ऐसे लोग कभी भी बिहार के हितैषी नहीं हो सकते। विजय सिन्हा ने नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी भी पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ जनता की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार अटल बिहारी वाजपेयी की पाठशाला से निकले हुए नेता हैं और उन्होंने बिहार में सुशासन की स्थापना की है। विजय सिन्हा ने इस बात पर भी जोर दिया कि नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर बिहार और देश को बदलने का संकल्प लिया है, और वह इसे पूरा कर रहे हैं।विजय सिन्हा ने अपने बयान में यह भी कहा कि नीतीश कुमार की उम्र कोई बाधा नहीं है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार अब भी सक्रिय रूप से जिलों का दौरा करते हैं, विभिन्न विभागों की समीक्षा करते हैं, और बिहार के विकास के लिए निरंतर कार्यरत रहते हैं। इस उम्र में भी नीतीश कुमार की सक्रियता एक मिसाल है और इससे यह साबित होता है कि उनके पास अभी भी बहुत कुछ है जो वे बिहार के लिए कर सकते हैं। नीतीश कुमार की राजनीतिक जीवन में उनकी सक्रियता को देखते हुए, उनके खिलाफ उम्र को लेकर उठाए गए सवाल कई लोगों को निराधार लग सकते हैं। नीतीश कुमार का विकास मॉडल और उनके द्वारा स्थापित सुशासन की नीतियाँ बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं, और उनके समर्थक मानते हैं कि वे अभी भी राज्य के लिए जरूरी हैं। विजय सिन्हा ने मुकेश सहनी के व्यक्तिगत और राजनीतिक करियर पर भी तीखे सवाल उठाए। उन्होंने सहनी पर आरोप लगाया कि वे खुद को ‘सन ऑफ मल्लाह’ कहते हैं, लेकिन मल्लाह समुदाय के लोगों को राजनीति में जगह नहीं देते हैं। सिन्हा ने सहनी पर यह भी आरोप लगाया कि वे राजनीतिक समझौतों के तहत सीटें उन लोगों को दे देते हैं जो उन्हें राजनीतिक फायदा पहुंचा सकते हैं। विजय सिन्हा ने मुकेश सहनी पर यह भी आरोप लगाया कि वे अमीर लोगों के साथ मिलकर राजनीति करते हैं, और बिहार के आम लोगों की समस्याओं से उनका कोई सरोकार नहीं है। सिन्हा ने सहनी और तेजस्वी यादव के बीच की दोस्ती पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ये नेता चार्टर्ड विमानों पर पिकनिक मनाते हैं, जबकि नीतीश कुमार ने कभी इस तरह का जीवन नहीं जिया है। बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की उम्र और उनके भविष्य को लेकर छिड़ी बहस ने एक बार फिर राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। मुकेश सहनी का यह बयान कि नीतीश कुमार को रिटायर होकर नई पीढ़ी को मौका देना चाहिए, ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। वहीं, विजय सिन्हा का पलटवार यह स्पष्ट करता है कि नीतीश कुमार अभी भी बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। यह बहस यह भी दर्शाती है कि बिहार की राजनीति में युवा और बुजुर्ग पीढ़ी के बीच संघर्ष अभी भी जारी है। जहां एक ओर मुकेश सहनी जैसे नेता नई पीढ़ी के लिए अवसर चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार जैसे अनुभवी नेता अपनी भूमिका को अभी भी महत्वपूर्ण मानते हैं। अब देखना यह होगा कि यह सियासी जंग आगे किस दिशा में जाती है और इसका बिहार की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।

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