पक्की सड़क की बाट जोह रहे भैसहां पंचायत के मानिकपुर टोला के ग्रामीण
तिलौथू, रोहतास (केवल कुमार)। हर गांव व टोलों की कच्ची सड़कों को पक्की करने की ढिंढोरा पिटते नहीं थकने वाली सरकार के राज्य में देश की आजादी से लेकर आज तक प्रखंड मुख्यालय डेहरी से सटे भैसहां पंचायत के मानिकपुर में दलित व अति पिछड़ा टोला एक पक्की सड़क विहीन गांव नजर नहीं आ रहा है। एक ओर बिहार व केंद्र की सरकार हर गांव को पक्की सड़क से जोड़ने के लिए ढेरों सारी योजनाएं बना कर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। वहीं आज भी उक्त गांव में आजादी के बाद से लेकर आज तक पक्की सड़क की सुविधा ग्रामीणों को नसीब नहीं हुई है। आज भी उक्त टोला के लोग पगडंडी के सहारे आने जाने को मजबूर हैं। मुख्य मार्ग से सीधे जुड़े इस टोले को जाने वाला मार्ग लंबे समय से बदहाल है। बारिश में यह मार्ग गढ़ों में तब्दील हो जाता है। गांव के लोगों का कहना है कि मूलभूत सुविधा का हमारे गांव में घोर अभाव है। किसी भी गांव या टोले का विकास वहां की सड़कों की हालत को देखने से ही लग जाती है, लेकिन हमारे यहां जब सड़क ही नहीं है तो और विकास के बारे में सोचना दूर की बात है। आज इस भाग दौड़ भरे युग में एक व्यक्ति व समाज के लिए सड़क का होना एक अत्यंत आवश्यक बात है। कच्ची रास्ते से गांव के लोग आज भी आवाजाही करते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों का भी इसी रास्ते से पाला पड़ता है। गांव में कई बार गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के समय जब बड़े अस्पताल ले जाया जाता है तो सही ढंग से सड़क सुविधा ना होने के कारण कई महिलाओं की डिलीवरी रास्ते में ही हो जाती है। हमारी स्वास्थ्य सेवाएं भी भगवान भरोसे हीं है। आज शिक्षा के बगैर कुछ भी नहीं है लेकिन आज सड़क ना होने के कारण उक्त गांव की लड़कियां ज्यादा पढ़ नहीं पाती है, क्योंकि गांव में स्कूल अपग्रेड नहीं है। सही रास्ते ना होने के कारण बच्चों के अभिभावक डर के मारे पढ़ने के लिए उन्हें दूर भेज ही नहीं पाते। यहां के लोग ऐसे गांव में रहते हैं जहां पर बरसात होने पर गांव की मुख्य रास्तों से संपर्क हर तरह से पूरी तरह कट जाता है, क्योंकि गांव के जो रास्ते हैं वह पानी से भरा पड़ा रहता है।
कई गांवों का यही है मुख्य रास्ता: डेहरी प्रखंड के भैसहॉ पंचायत में मानिकपुर गांव शामिल है। इस मार्ग से पहाड़ी क्षेत्रों के गांव भड़कुड़िया, भटउली, घोंघहां, डिलियां एवं कई गांव भी सीधे जुड़े हैं। रास्ते की बखिया इस कदर उधड़ चुकी है कि उस पर वाहनों की परिचालन की क्या कहे, पैदल चलना भी मुश्किल है। कई सालों से ग्रामीण सरपंच से लेकर मुखिया, प्रखंड विकास पदाधिकारी, लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी तक सड़क निर्माण की मांग कर चुके हैं।
विस चुनाव में ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार करने का लिया था निर्णय: पिछले विधानसभा चुनाव में उक्त ग्राम के ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार किया था। अधिकारियों ने चुनाव के बाद जल्द सड़क निर्माण कराने का भरोसा दिलाकर ग्रामीणों का विश्वास जीतकर मतदान करा लिया। नई सरकार बनने के बाद अब अधिकारियों ने भी इस गांव की ओर मुड़कर नहीं देखा है। ग्रामीण बताते हैं कि बारिश में इस मार्ग पर आवाजाही चलना मुश्किल हो जाती है। ऐसे में यदि गांव के किसी व्यक्ति की तबियत बिगड़ जाए तो उसे चार लोग खटिया पर लिटाकर मुख्य सड़क तक लाते हैं। कई बार कच्ची सड़क पर बच्चे भी गिर जाते हैं। कई सालों से यह रास्ता बदहाल है। हमने कई बार अधिकारियों व जन प्रतिनिधि से सड़क निर्माण की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी हमारी तकलीफ का ध्यान नहीं है। यह कच्ची सड़क से गांवों को जोड़ता है। बावजूद इसके सड़क का निर्माण नहीं कराया जा रहा है। आजादी के बाद से इस गांव के टोला को पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिली। सरकार विकास के नाम पर बडे़-बड़े दावे करती है। सड़कों का जाल बिछाने और गांवों को शहरों से जोड़ने का दावा करती है लेकिन महज कुछ ही दूरी पर लगे इस गांव की तस्वीर तमाम दावों की पोल खोल दी है। पंचायत की मुखिया शिला देवी कहती है कि सरकार से बजट मंजूर नहीं हुआ है। यदि यह मार्ग पक्का हो जाए तो मुख्य सड़क से कई गांव जुड़ जाएंगे। गांव के लोगों द्वारा शासन से लेकर प्रशासन तक आवेदन दिया फिर भी नहीं बना। लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां भी सड़क निर्माण की मांग की थी लेकिन सुनवाई ही नहीं हो रही है। उक्त सड़क को पक्की बनाने के लिए चंद्रिका देवी, प्रमिला देवी, सरिता देवी, धर्मराजो देवी, सीता देवी, उषा देवी, कलावती देवी, अनीता देवी, दुलारी देवी, शीला देवी, संगीता देवी, पूनम देवी, अखिलेश सिंह, विकास सिंह, शिव कुमार सिंह, ओमप्रकाश चौधरी, विजय चौधरी, शंकर चौधरी, वासुदेव चौधरी सहित दर्जनों लोगों ने गुहार लगाई है।
कहती हैं मुखिया: भैसहा पंचायत के मुखिया शीला देवी से संपर्क किया गया मोबाइल नं. 9507090525 पर तो उनके पति अवधेश चौधरी ने बताया कि वार्ड 1,5,8 को अभी जिला में चयनित नहीं किया गया है, चयनित के लिए भेजा गया है। ग्रामीणों का आरोप सही है।
कहते हैं अधिकारी: प्रखंड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार सिंह का कहना है कि अगर ग्रामीणों ने आवेदन दिया है तो उस आवेदन को संज्ञान में लेते हुए प्राथमिकता दी जाएगी और इन लोग का समस्या का हल निकालने के लिए सरकारी प्रक्रिया के अनुसार कार्य होगा, जल्द ही इनकी समस्या दूर की जाएगी।