November 22, 2024

चिराग के सांसद का बड़ा दावा, राजेश वर्मा बोले- रालोजपा जल्द होगी बड़ी टूट, हमारे संपर्क उनके कई कार्यकर्ता

पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के खगड़िया से सांसद राजेश वर्मा ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) को लेकर बड़ा बयान दिया है। शुक्रवार को दिल्ली से पटना लौटते ही उन्होंने दावा किया कि पशुपति पारस की पार्टी में जल्द ही बड़ी टूट हो सकती है। उनका कहना है कि रालोजपा के कई पूर्व सांसद और कार्यकर्ता चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संपर्क में हैं। इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है।
रालोजपा में टूट की अटकलें
राजेश वर्मा ने आरोप लगाया कि पशुपति पारस ने व्यक्तिगत हितों के लिए पार्टी को तोड़ा और अब उनकी पार्टी कमजोर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि जब कोई पार्टी बिहार और बिहारी के विकास के लिए काम नहीं करती और केवल अपने निजी स्वार्थ को प्राथमिकता देती है, तो उसके विघटन की संभावना बढ़ जाती है। वर्मा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार की राजनीति में गठबंधन और दल-बदल की गतिविधियां चरम पर हैं।
रालोजपा का 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा
पशुपति पारस द्वारा बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा को लेकर भी वर्मा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “चुनाव लड़ने की बात तब होनी चाहिए, जब पार्टी में बिहार के लोगों और उनके मुद्दों के प्रति गंभीरता हो। लेकिन जब पार्टी का आधार ही कमजोर हो और केवल व्यक्तिगत हित के लिए राजनीति की जाए, तो ऐसे दावों का कोई महत्व नहीं है।”
चिराग पासवान की रणनीति
चिराग पासवान के नेतृत्व में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने में जुटी है। चिराग के समर्थक यह मानते हैं कि पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के विजन को आगे बढ़ाने में चिराग अधिक सक्षम हैं। सांसद वर्मा के अनुसार, रालोजपा के कई सदस्य चिराग के विचारों और नेतृत्व से प्रभावित हैं और उनके संपर्क में हैं।
राजनीतिक समीकरण और भविष्य
बिहार की राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है कि बड़े चुनावों से पहले दल-बदल और विघटन की अटकलें लगाई जाती हैं। पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच राजनीतिक विभाजन के बाद से ही दोनों पार्टियों में शक्ति प्रदर्शन जारी है। पशुपति पारस ने अपने गुट को अलग पहचान देते हुए राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) बनाई, जबकि चिराग पासवान ने अपने गुट को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नाम से बरकरार रखा।
रालोजपा की स्थिति पर सवाल
राजेश वर्मा के इस बयान ने रालोजपा की वर्तमान स्थिति को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनके अनुसार, रालोजपा के कई कार्यकर्ता और पूर्व सांसद असंतुष्ट हैं और पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं। यदि यह सच साबित होता है, तो रालोजपा के लिए यह एक बड़ा झटका होगा, खासकर तब जब पार्टी ने 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए बड़ी रणनीति बनाने की घोषणा की है।
चुनावी तैयारियों पर प्रभाव
यदि रालोजपा में टूट होती है, तो इसका सीधा प्रभाव बिहार की राजनीति पर पड़ेगा। इससे न केवल विपक्षी दलों को बढ़त मिल सकती है, बल्कि चिराग पासवान की पार्टी को भी फायदा होगा। चिराग पहले ही अपनी पार्टी को नई ऊर्जा देने और बिहार की राजनीति में मजबूत दावेदार के रूप में उभरने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
जनता के बीच संदेश
यह बयान जनता के बीच भी कई सवाल खड़े करता है। चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच के मतभेद और पार्टी विभाजन का असर कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर पड़ा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में जनता किसे अपना समर्थन देती है। सांसद राजेश वर्मा के बयान ने बिहार की राजनीति में नई चर्चा को जन्म दिया है। रालोजपा में संभावित टूट और चिराग पासवान की पार्टी की ओर कार्यकर्ताओं के झुकाव की बात ने सियासी पारा बढ़ा दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पशुपति पारस और उनकी पार्टी इस चुनौती का कैसे सामना करती है और चिराग पासवान अपनी पार्टी को कितनी मजबूती से आगे ले जाते हैं। बिहार की राजनीति में आगामी चुनावों के मद्देनजर यह घटनाक्रम निश्चित रूप से अहम साबित होगा।

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