RJD जातीय भावना भड़का कर लेना चाहती है राजनीतिक लाभ, JDU कभी नहीं होने देगी सफल : उमेश कुशवाहा
- राजद ने 2011 में कराए गए सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना की रिपोर्ट क्यों नहीं कराई प्रकाशित
पटना। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने बीते एक जून को संपन्न जातीय गणना पर सर्वदलीय बैठक की सफलता का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि हमारे नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इससे गांधी, लोहिया, जयप्रकाश नारायण एवं कर्पूरी जी के सामाजिक न्याय के सपने को साकार किया है। वहीं उन्होंने राजद को आगाह किया है कि जातिगत जनगणना को वो राजनीतिक एजेंडा नहीं बनाएं।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नीतीश कुमार का मानना है कि जाति आधारित जनगणना को विकास के आधार एवं एजेंडे के रूप में देखा जाना चाहिए। इसका मकसद लोगों को आगे बढ़ाना है, ताकि सबका विकास ठीक ढंग से हो सके। उन्होंने स्पष्ट भी किया है कि इस जनगणना में सभी जाति, उपजाति एवं सभी धर्म के लोगों की जनगणना पूर्ण पारदर्शिता के साथ कराई जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा संपादित कराए जाने वाले इस कार्य के संदर्भ में समय-समय पर सभी दलों को सूचना भी दी जाएगी।
श्री कुशवाहा ने यह स्पष्ट किया कि जाति गणना कराने की मंशा सभी जाति, उप जातियों एवं धर्म के लोगों का विकास सुनिश्चित करना है, जबकि राजद की मंशा मात्र राजनीतिक लाभ प्राप्त करना। क्योंकि बिहार के लोगों के विकास से राजद को कोई लेना देना नहीं है। यह तो सिर्फ अपने परिवार के विकास की चिंता करती है। राजद जातीय भावना भड़का कर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है, जदयू राजद की इस मंशा को कभी सफल नहीं होने देगी।
प्रदेश अध्यक्ष ने राजद को आगाह किया कि जातिगत जनगणना को वो राजनीतिक एजेंडा नहीं बनाएं, क्योंकि इससे समाज में फूट उत्पन्न होने के साथ ही बिहार का विकास अवरुद्ध होगा। यदि वास्तव में राजद को इतनी ही चिंता थी तो 2011 में यूपीए द्वारा कराए गए सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना की रिपोर्ट क्यों नहीं प्रकाशित कराया, जबकि उस समय राजद यूपीए का एक महत्वपूर्ण घटक दल था। उन्होंने कहा कि राजद हमारी पार्टी द्वारा किए गए प्रयासों का क्रेडिट लेकर राजनीतिक रोटी सेंकने का प्रयास कर ऐसे संवेदनशील मामले में भी राजनीतिक लाभ प्राप्त करना चाहती है। बिहार की जनता उसके इस प्रवृत्ति से अवगत है।