कांतारा के लिए ऋषभ शेट्टी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता राष्ट्रीय फिल्म का पुरस्कार, गुलमोहर बनी सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म

नई दिल्ली। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा का यह साल भारतीय सिनेमा के लिए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों और सम्मान का गवाह बना। 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में, देशभर की फिल्मों और कलाकारों को उनके असाधारण प्रदर्शन और कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम नई दिल्ली में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया। इस बार के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में कई नई प्रतिभाओं के साथ-साथ अनुभवी कलाकारों और निर्देशकों को भी सराहा गया।
मनोज बाजपेयी और शर्मिला टैगोर की फिल्म “गुलमोहर” को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का पुरस्कार
सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का पुरस्कार इस साल “गुलमोहर” को मिला, जिसमें मनोज बाजपेयी और शर्मिला टैगोर ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। यह फिल्म एक परिवार की भावनात्मक कहानी को बखूबी चित्रित करती है, जिसमें रिश्तों की जटिलताएं और उनके बीच का प्यार दिखाया गया है। मनोज बाजपेयी, जो हमेशा से ही अपने दमदार अभिनय के लिए जाने जाते हैं, ने इस फिल्म में भी अपने अद्वितीय अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। वहीं, शर्मिला टैगोर, जो कई वर्षों बाद बड़े पर्दे पर नजर आईं, ने भी अपनी पुरानी शैली और अनुभव का जादू बिखेरा।
कांतारा के लिए ऋषभ शेट्टी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
कांतारा” फिल्म के लिए ऋषभ शेट्टी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। कांतारा एक सामाजिक और सांस्कृतिक फिल्म है, जिसमें ऋषभ शेट्टी ने नायक की भूमिका निभाई है। फिल्म में उनके प्रदर्शन ने उन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार का हकदार बनाया। उनकी इस फिल्म में दमदार अदाकारी, भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता ने दर्शकों को प्रभावित किया।
आट्टम ने जीता सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार
मलयालम फिल्म “आट्टम” को इस साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार दिया गया। इस फिल्म ने दर्शकों को अपनी दिल को छू लेने वाली कहानी और उत्कृष्ट निर्देशन से प्रभावित किया। आट्टम की कहानी एक सामाजिक मुद्दे पर आधारित है, जिसे बड़े ही संवेदनशील और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही, फिल्म के निर्देशन, पटकथा, और संपादन को भी विशेष रूप से सराहा गया।
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार सूरज बड़जात्या को
सूरज बड़जात्या, जो अपने पारिवारिक फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, ने इस बार “उंचाई” के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता। उंचाई एक प्रेरणादायक फिल्म है, जो दोस्तों के बीच के रिश्तों और उनके सपनों की कहानी को दर्शाती है। बड़जात्या ने इस फिल्म में अपने निर्देशन के माध्यम से दर्शकों को न केवल मनोरंजन किया, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाए।
सर्वश्रेष्ठ मराठी फिल्म और अन्य क्षेत्रीय सिनेमा की उपलब्धियां
इस बार मराठी फिल्म “वालवी” ने सर्वश्रेष्ठ मराठी फिल्म का पुरस्कार जीता। इस फिल्म की कहानी और उसके किरदारों ने दर्शकों को प्रभावित किया। क्षेत्रीय सिनेमा के संदर्भ में, तेलुगु फिल्म “कार्तिकेय 2” और तमिल फिल्म “पोन्नियिन सेलवन 1” ने भी अपने-अपने क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता। कन्नड़ फिल्म “केजीएफ चैप्टर 2” ने भी सर्वश्रेष्ठ कन्नड़ फिल्म का पुरस्कार अपने नाम किया और इसके साथ ही इसे सर्वश्रेष्ठ स्टंट कोरियोग्राफी का पुरस्कार भी मिला।
गैर-फीचर फिल्म श्रेणी में उत्कृष्टता
गैर-फीचर फिल्म श्रेणी में, “मध्यांतर” के लिए सुरेश उर्स ने सर्वश्रेष्ठ संपादन का पुरस्कार जीता। इस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का पुरस्कार “आइना” को मिला। गैर-फीचर श्रेणी में, इन फिल्मों ने भी दर्शकों को अपनी प्रभावशाली कहानियों और प्रस्तुति से आकर्षित किया।
सर्वश्रेष्ठ संगीत, गीतकार और प्रोडक्शन डिजाइन के क्षेत्र में सम्मान
संगीत के क्षेत्र में भी इस बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में बड़ी उपलब्धियां देखी गईं। हिंदी फिल्म “ब्रह्मास्त्र” के लिए प्रीतम ने सर्वश्रेष्ठ संगीत का पुरस्कार जीता। वहीं, “फौजा” के लिए नौशाद सदर खान को सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार मिला। प्रोडक्शन डिजाइन के क्षेत्र में, फिल्म “अपराजितो” को सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्शन डिजाइन का पुरस्कार मिला, जिसमें इस फिल्म के दृश्य और सेट की उत्कृष्टता को सराहा गया।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार का महत्व और इसका इतिहास
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान है, जिसकी शुरुआत 1954 में हुई थी। इस पुरस्कार का उद्देश्य भारतीय सिनेमा के विभिन्न पहलुओं में उत्कृष्टता को पहचानना और सम्मानित करना है। पिछले वर्षों में, इस पुरस्कार ने कई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया है और भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। बेस्ट फिल्म की कैटेगरी में सबसे पहला नेशनल अवॉर्ड मराठी फिल्म ‘श्यामची आई’ को मिला था।
भव्य समारोह में सम्मानित किए गए विजेता
इस साल के 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का आयोजन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में किया गया, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेताओं को सम्मानित किया। यह कार्यक्रम भव्यता और गरिमा से भरा हुआ था, जिसमें भारतीय सिनेमा के दिग्गजों और नई प्रतिभाओं को एक साथ देखा गया। इस अवसर पर सभी विजेताओं को उनके योगदान के लिए सराहा गया और उन्हें देश के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
दादा साहब फाल्के पुरस्कार और अन्य प्रमुख सम्मान
हालांकि इस वर्ष के समारोह में दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्तकर्ता को सम्मानित नहीं किया गया, फिर भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की यह यात्रा हमेशा की तरह ही महत्वपूर्ण रही। इस समारोह ने एक बार फिर से भारतीय सिनेमा की विविधता और उसकी गहराई को दर्शाया। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भारतीय सिनेमा के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो न केवल उत्कृष्टता को पहचानता है, बल्कि भारतीय सिनेमा के भविष्य को भी प्रेरित करता है। इस साल के पुरस्कार विजेताओं ने अपनी मेहनत, समर्पण और अद्वितीय प्रतिभा से भारतीय सिनेमा को समृद्ध किया है। यह समारोह इस बात का प्रतीक है कि भारतीय सिनेमा अपनी कला और संस्कृति के माध्यम से लगातार आगे बढ़ रहा है, और इसमें नए आयाम जोड़ता जा रहा है।
