शिक्षा विभाग ने डीएम को दी स्कूलों के निगरानी की जिम्मेदारी, नोडल अधिकारियों की होगी नियुक्ति, मुख्य सचिव को मिलेगी रिपोर्ट

पटना। बिहार में पिछले 7-8 महीनों से स्कूलों की निगरानी और निरीक्षण का काम चल रहा है, बावजूद इसके शिक्षा विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही हैं। इन शिकायतों के मद्देनजर सरकार ने तय किया है कि शिक्षा विभाग से बाहर के लोगों से मूल्यांकन कराया जाएगा ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर फीडबैक और शिकायतें मांगी जाएंगी ताकि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में मदद मिल सके। अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया कि जिलाधिकारी (डीएम) के स्तर पर मूल्यांकन की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस कार्य के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी, जो शिक्षा विभाग से जुड़े नहीं होंगे। प्रत्येक जिले के मजिस्ट्रेट को नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा जो शिकायतों की निगरानी और जांच करेगा। नोडल अधिकारी अपनी रिपोर्ट सीधे अपर मुख्य सचिव को सौंपेंगे। इससे पहले, शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी की बात कही थी। शिक्षा विभाग ने टोल फ्री नंबर और पांच व्हाट्सऐप ग्रुप जारी किए हैं, जिनके माध्यम से लोग स्कूल से जुड़ी अपनी शिकायतें या सुझाव दर्ज करा सकते हैं। इनमें स्कूल का ढांचा, मिड डे मील, पानी और शौचालय की व्यवस्था, बिजली और कंप्यूटर जैसी तमाम सुविधाएं शामिल हैं। नोडल अधिकारी तीन महीने तक निगरानी और निरीक्षण करेंगे। इस अवधि में वे सभी कमियों को दूर करने के उपाय करेंगे। उनके कार्यों की निगरानी जिला मजिस्ट्रेट और जिला विकास अधिकारी करेंगे। सिद्धार्थ ने कहा कि नोडल अधिकारियों की जांच में किसी भी प्रकार की कमी पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नोडल अधिकारी का काम आधारभूत ढांचे के साथ-साथ अच्छी शिक्षा व्यवस्था की भी जांच करना होगा। इसमें नियमित कक्षाएं, परीक्षाएं और कॉपियों की जांच शामिल होगी। निगरानी करने वाले अधिकारी सीधे स्कूल नहीं जाएंगे, बल्कि गांवों में जाकर स्कूल न जाने वाले बच्चों को खोजेंगे और उन्हें स्कूल में दाखिल करेंगे। अगर स्कूल में पंजीकृत बच्चे बाहर हैं, तो उन्हें भी वापस कक्षाओं में लाया जाएगा। इस प्रकार की निगरानी और निरीक्षण प्रक्रिया से उम्मीद की जा रही है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा और बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुविधाएं मिल सकेंगी। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और छात्रों के बेहतर भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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