बार एसोसिएशन में इस साल से लागू होगा महिला आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बार एसोसिएशन के पदों पर होने वाले चुनावों में आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदों में अब से न्यूनतम 1/3 महिला आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया है। यह फैसला आगामी बार एसोसिएशन के चुनावों में भी लागू रहेगा। कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया कि साल 2024-25 के चुनावों में एससीबीए के कोषाध्यक्ष का पद एक महिला उम्मीदवार के लिए रिजर्व किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की बेंच ने अपने आदेश में कहा, ”2024-25 के चुनावों में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष का पद महिलाओं के लिए आरक्षित है।” बेंच ने यह भी साफ कर दिया है कि आरक्षण पात्र महिला सदस्यों को अन्य पदों के लिए चुनाव लड़ने से भी नहीं रोकेगा। ‘लाइव लॉ’ वेबसाइट के अनुसार, कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का एक पद महिलाओं के लिए रोटेशन के आधार पर रिजर्व किया जाएगा। महिलाओं के लिए इस आरक्षण की शुरुआत 2024-25 के चुनावों से होगी। कोर्ट के फैसले के अनुसार, जूनियर एग्जीक्यूटिव कमेटी में 9 में से तीन पर महिलाओं के लिए आरक्षण होगा, जबकि सीनियर एग्जीक्यूटिव कमेटी में छह में से दो पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव इस बार 16 मई को होने वाले हैं। वहीं, वोटों की गिनती 18 मई को होगी। नतीजों का ऐलान एक दिन बाद 19 मई को होगा। वर्तमान कमेटी का कार्यकाल 18 मई को खत्म हो रहा है। बता दें कि अब एससीबीए के पदाधिकारियों अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष में कोषाध्यक्ष पद महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगा। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में सीनियर एडवोकेट्स के लिए बनी सीनियर कार्यकारिणी के छह सदस्यों में से दो और सामान्य कार्यकारिणी के नौ सदस्यों में से तीन सदस्य के पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवारों की योग्यता और शर्तों में आवश्यक बदलाव व सुधार की बाबत आठ प्रस्ताव आए लेकिन वो नाकाम हो गए। इनके अलावा एसोसिएशन का सदस्य बनने के लिए फीस और चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार की जमानत राशि को लेकर भी लाए गए प्रस्ताव 30 अप्रैल को आयोजित स्पेशल जनरल बॉडी मीटिंग में गिर गए। ऐसे में कोर्ट ने महसूस किया कि नियम, योग्यता, शर्तों और फीस को लेकर निर्णय लेने को जरूरत है। क्योंकि इन चीजों को दशकों तक लटकाए नहीं रखा जा सकता। समय रहते सुधार और बदलाव जरूरी हैं। इसके बाद आम वकीलों से मिलने वाले ये सुझाव बार एसोसिएशन डिजिटल या प्रिंटेड फॉर्मेट में संकलित कर कोर्ट को दें। यानी उन सुझावों के आधार पर अभी सुधारों और बदलाव का सिलसिला जारी रहेगा।