February 4, 2025

रेरा की आंखों में धूल झोंक कर बिना प्रोजेक्ट निबंधन प्लॉट बेच रही है कंपनियां, ग्रेटर पटना के बिहटा,नौबतपुर सोनपुर तथा फतुहा में जारी है फर्जीवाड़ा

पटना।(बन बिहारी) बिहार में न सिर्फ अपार्टमेंट बनाकर बेचने बल्कि बड़े भूखंड को प्लाटिंग करके बचने के लिए भी प्रोजेक्ट को रेरा से स्वीकृत करना आवश्यक है।रेरा ने इस संबंध में कई बार सार्वजनिक सूचना भी जारी किया है।इसके बावजूद कई कंपनियां राजधानी पटना के इर्द गिर्द रेरा की आंखों में धूल झोंक कर बिना प्रोजेक्ट स्वीकृत करवाये प्लाट बेचने का कार्य कर रही है। ऐसी कंपनियां पर रेरा की नजर है।लेकिन इसके बावजूद ऐसी कंपनियां प्रोजेक्ट को निबंध करवाने से दूर भाग रही है और दूसरी तरफ खुलेआम सोशल मीडिया तथा अन्य माध्यमों से अपने प्रोजेक्ट की मार्केटिंग कर रही है।जो रेरा के नियमों के विपरीत है।पटना के आसपास के इलाके भी ग्रेटर पटना के तर्ज पर विकसित हो रहे हैं इसलिए राजधानी समेत इन इलाकों में भी रियल एस्टेट का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है। मुख्यतः विहटा, सोनपुर तथा फतुहा के तरफ प्लॉट की बिक्री के काम में दर्जनों कंपनियां वास्तविक तौर पर तथा सैकड़ों कंपनियां सिर्फ कागजों पर काम कर रही है। राजधानी में बढ़ती जनसंख्या के कारण आसपास के इलाकों को बड़ी कंपनियां अब टाउनशिप के तर्ज पर विकसित कर रही है। लगभग तीन-चार वर्षों से बड़ी भूखंडों को छोटे छोटे प्लॉट के तर्ज पर संसाधनों समेत डेवलप करने वाली कंपनियों की बाढ़ सी आ गई है। ऐसे में रेरा द्वारा भी अब ऐसी कंपनियों पर विशेष कार्य योजना के तहत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। नियमतः ऐसे सभी प्रतिष्ठान या एजेंसी जो रियल स्टेट से जुड़े संगठित काम कर रहे हैं, उनका तथा उनके प्रोजेक्ट का रेरा में निबंधन अनिवार्य है। मगर अभी तक गिनती मात्र की कंपनियों ने ही निबंधन हेतु आवेदन दिया है। ऐसी कंपनियों में निवेशकों का लगा धन डूब ना जाए या फिर प्रोजेक्ट के नाम पर धोखाधड़ी ना हो इसीलिए रेरा ऐसी सभी कंपनियों के प्रोजेक्ट को लेकर लगातार सार्वजनिक सूचना प्रसारित करवा रही है।

 

रेरा के मुताबिक राजधानी पटना के सटे इलाकों बिहटा, सोनपुर, एम्स, फुलवारी, मनेर तथा दानापुर आदि क्षेत्रों में अलग-अलग बिल्डरों के अभी सैकड़ों हाउसिंग तथा टाउनशिप प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। करीब 10000 फ्लैट तथा 500 प्रोजेक्ट अभी विभिन्न परियोजनाओं के रूप में लंबित हैं। ऐसे प्रोजेक्ट की मार्केटिंग भी कंपनियों के द्वारा जारी है, निवेशकों से रकम उगाही भी जारी है। मगर रेरा के स्वीकृति के बगैर प्रोजेक्ट की मार्केटिंग एवं उसमें किसी भी प्रकार का निवेश गैरकानूनी है। सोनपुर तथा फतुहा चाईपास एवं फोरलेन में भी टाउनशिप तथा प्लॉट को विकसित करने वाली कंपनियों के प्रोजेक्ट को भी रेरा के द्वारा जांच कर स्वीकृति दी जाएगी। बड़े भूखंडों की प्लाटिंग करने वाली बहुत सारी नयी कंपनियों के पास यह भी समस्या है कि वह रेरा से प्रोजेक्ट स्वीकृति की सभी शर्तों को पूरा नहीं कर पा रही हैं।राजधानी के नौबतपुर बिहटा के तरफ प्लॉट बेचने वाली कंपनियों ने अपने ग्राहकों को जो सब्जबाग दिखाए हैं, उसकी भी जांच हो सकती है। मसलन विज्ञापन में उल्लेखित प्रोजेक्ट भूमि से एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, अस्पताल तथा शिक्षण संस्थानों की दूरी दावे के अनुसार है अथवा नहीं। रेरा सूत्रों के अनुसार बहुत सारी कंपनियों के बारे में ऐसे तथ्य ज्ञात हुए हैं कि वह ग्राहकों को झूठे सब्जबाग दिखाकर उन्हें फंसा रही है। रेरा ने ऐसी कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय ले रखा है।

 

भूखंडों को विकसित कर उसका प्लॉटिंग कर रही कंपनियों के पक्की सड़क, बिजली, पानी, चाहरदीवारी, पार्क, कम्युनिटी सेंटर तथा कैंपस मार्केट आदि के विकसित करने की दावों को भी रेरा जांच के दायरे में रखेगी। हालांकि अभी संसाधनों के अभाव के कारण रेरा का कार्य भी उतनी तेज गति से नहीं हो पा रहा है।

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