November 21, 2024

बार काउंसलिंग में रजिस्ट्रेशन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, राज्यों को जल्द निबंधन शुल्क तय करने के दिए निर्देश

नई दिल्ली। कानून की पढ़ाई करने के बाद बार काउंसिल में पंजीकरण कराने के लिए युवाओं को ज्यादा जेब ढीली नहीं करनी पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने देश और सभी राज्यों की बार काउंसिल को वकीलों के पंजीकरण के लिए कानून में तय शुल्क ही लेने के निर्देश दिए हैं। कई राज्यों में बार में पंजीकरण के लिए युवाओं से की जा रही मोटी फीस की वसूली को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बार से सामान्य और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) श्रेणी के विधि स्नातकों युवाओं से पंजीकरण के लिए क्रमश: 650 रुपये और 125 रुपये लेने के लिए कहा है। देश के कई राज्यों में विधि स्नातकों का बार में पंजीकरण करने के लिए बार काउंसिल मोटी फीस लेते हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई विधि स्नातकों ने याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि कई राज्य बार में पंजीकरण के लिए भारी-भरकम फीस ले रहे हैं। अत्यधिक पंजीकरण शुल्क वसूलना कानून का उल्लंघन है और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया कि अधिक शुल्क के कारण वकील बनने की चाह रखने वाले ऐसे युवा पंजीकरण नहीं करा पाते, जिनके पास आवश्यक संसाधन और इतना मोटा शुल्क देने की व्यवस्था नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट ने इसे महत्वपूर्ण मुद्दा मानते हुए 10 अप्रैल को केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और राज्य बार निकायों को नोटिस जारी किया था। नोटिस का जवाब मिलने के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता अधिनियम के तहत स्नातकों का पंजीकरण करने में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और राज्य बार काउंसिल कानून का उल्लंघन कर रही हैं। अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 24 के तहत विधि स्नातक के लिए वकील के रूप में पंजीकरण शुल्क 650 रुपये है। जबकि एससी-एसटी वर्ग के लिए यह शुल्क 125 रुपये है। नए पंजीकरण में यही लिया जाए। इसे संसद में कानून संशोधन के बाद ही बढ़ाया जा सकता है। कोर्ट ने सभी बार काउंसिल से तय शुल्क ही लेने के लिए कहा है। याचिका में कहा गया था कि ओडिशा में विधि स्नातकों से पंजीकरण शुल्क 42,100 रुपये, गुजरात में 25,000 रुपये, उत्तराखंड में 23,650 रुपये, झारखंड में 21,460 रुपये और केरल में 20,050 रुपये लिया जा रहा है। यह कानून का उल्लंघन है।

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