जेल से फिर बाहर आए बाबा राम रहीम, कोर्ट से मिली 21 दिनों की पैरोल
बागपत। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आ चुके हैं। इस बार उन्हें 21 दिनों की पैरोल दी गई है, जिसे लेकर विभिन्न हलकों में चर्चाएं हो रही हैं। राम रहीम को यह पैरोल ऐसे समय पर मिली है, जब उनके बार-बार जेल से बाहर आने को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। यह पैरोल मिलने की घटना ने एक बार फिर से लोगों का ध्यान खींचा है, खासकर उन लोगों का जो उनके अपराध और सजा से जुड़े मामलों पर नजर रख रहे हैं। राम रहीम को 2017 में दो साध्वियों के साथ बलात्कार के जुर्म में 20 साल की सजा सुनाई गई थी। इस मामले ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी, और उनके खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे। हालांकि, इसके बाद भी उन्हें अलग-अलग मौकों पर 8 बार पैरोल मिल चुकी है, जो उनके समर्थकों के लिए राहत की खबर होती है, लेकिन इसके विरोधियों के लिए यह न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। मंगलवार की सुबह 6:30 बजे, राम रहीम जेल से बाहर आए और सीधे उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में स्थित अपने डेरा आश्रम की ओर रवाना हो गए। यह आश्रम उनके लिए एक सुरक्षित स्थान माना जाता है, जहां वह अपने अनुयायियों से मिल सकते हैं और धार्मिक गतिविधियों का संचालन कर सकते हैं। राम रहीम के अनुयायी न केवल पंजाब और हरियाणा में बल्कि हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में हैं, जिससे उनकी रिहाई को लेकर हमेशा एक विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाती है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें राम रहीम को बार-बार पैरोल दिए जाने को चुनौती दी गई थी। यह याचिका शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा दायर की गई थी, जो इस बात से नाराज थी कि एक अपराधी को बार-बार राहत मिल रही है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस याचिका को खारिज कर दिया, जिससे राम रहीम को फिर से जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि इससे पहले, 29 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिए थे कि बिना उसकी अनुमति के राम रहीम को पैरोल न दी जाए। बावजूद इसके, राम रहीम को समय-समय पर पैरोल मिलती रही है। अब, एक बार फिर राम रहीम को 21 दिनों की पैरोल दी गई है, जो कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच आई है। यह राजनीतिक माहौल को देखते हुए और भी अधिक संवेदनशील हो जाता है। राम रहीम की पैरोल को लेकर हो रही इस राजनीतिक और कानूनी खींचतान से कई सवाल खड़े होते हैं। क्या यह पैरोल उन्हें उनके प्रभावशाली समर्थकों की वजह से मिल रही है? क्या इसका चुनावी राजनीति से कोई संबंध है? ये सवाल न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। इस प्रकार, राम रहीम का जेल से बाहर आना न केवल उनके अनुयायियों के लिए बल्कि उनके विरोधियों और आम जनता के लिए भी एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन 21 दिनों में राम रहीम क्या गतिविधियां करते हैं और उनका राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।