त्रिवेणी संयोग में रामनवमी रविवार को, घर-घर विराजेंगे रामलला, चैत्र नवरात्र का हवन व कन्या पूजन भी कल
पटना। भगवान नारायण के सातवें अवतार मयार्दा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिवस के रूप में रामनवमी का पर्व चैत्र शुक्ल नवमी रविवार को मनाया जाएगा। प्रभु श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र व कर्क लग्न से युक्त मध्याह्न काल में हुआ था। रामनवमी के दिन पवित्र गंगा नदी या जलाशयों में स्नान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान राम के साथ हनुमान की पूजा अति फलदायी होती है। चैत्र शुक्ल नवमी को माता दुर्गा को अपराजिता पुष्प, इत्र, अभ्रक व सुगंधित धुप अर्पण करने से मनोवांक्षित कामना की शीघ्र पूर्ति होगी। शनि और राहु ग्रह के प्रकोप से भी शांति मिलेगी। चैत्र नवरात्र करने वाले श्रद्धालु भी कल कन्या पूजन, हवन व पुष्पांजलि करेंगे।
रामनवमी पर बना शुभ योगों का त्रिवेणी संयोग
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि रामनवमी पर तीन शुभ योगों के एक साथ होने से त्रिवेणी संयोग बन रहा है। कल चैत्र शुक्ल नवमी को रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग के होने से इस पुण्यकारी संयोग का निर्माण हुआ है। इसके साथ ही पुष्य नक्षत्र व सुकर्मा योग का भी युग्म संयोग बना है। ग्रह-गोचरों के इस शुभ संयोग में प्रभु श्रीराम, माता सीता एवं हनुमान की आराधना से यश, बल, बुद्धि, ऐश्वर्य, उन्नति, आपसी प्रेम, भैतिक सुख का विकास होगा। रामनवमी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की आराधना से जातक को दैहिक, दैविक व भौतिक कष्टों से मुक्ति तथा इस दिन घरों में महावीरी ध्वज, पताका, तोरण या बंदनवार लगाने से शुभता का वास होता है। इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की थी। दक्षिण संप्रदाय के लोग इस पर्व को कल्याणोत्स्व यानि प्रभु श्रीराम की शादी समारोह के रूप में मनाते हैं। उनकी मान्यता है कि इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम प्रगाढ़ होते हैं।
नवरात्र से जुड़ा है प्रभु श्रीराम का संबंध
चैत्र नवरात्र में नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था, इसीलिए रामनवमी के पावन अवसर पर श्रीराम जन्मोत्सव मनाया जाता है। वही आश्विन मास में होने वाले शारदीय नवरात्र के दशमी तिथि को प्रभु श्रीराम ने रावण का वध कर विजय हासिल प्राप्त किए थे, इसीलिए उस दिन विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है।
रामनवमी पर दस वर्ष बाद 24 घंटे पुष्य नक्षत्र
पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि रामनवमी के पावन पर्व पर पूरे दस वर्ष बाद 24 घंटे पुष्य नक्षत्र विद्यमान रहेगा। इस नक्षत्र को शुभ-लाभ का नक्षत्र बताया गया है। इसीलिए इस नक्षत्र में खरीदारी या निवेश करना लाभदायी होगा। कल पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण-रजत के आभूषण, भूमि-भवन, वाहन, फर्नीचर, वस्त्र, भौतिक सुख-सुविधाओं के सामान, विद्युतीय उपकरण व मांगलिक कार्यों से संबंधित वस्तुओं की खरीदारी शुभ रहेगा।
रामनवमी पूजा शुभ मुहूर्त
चर योग मुहूर्त : प्रात: 07:08 बजे से 08:42 बजे तक
लाभ मुहूर्त : प्रात: 08:42 बजे से 10:17 बजे तक
अमृत मुहूर्त : सुबह 10:17 बजे से 11:51 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:26 बजे से 12 :16 बजे तक
कर्क लग्न : दोपहर 11:05 बजे से 02:03 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : दोपहर 01:25 बजे से 02:59 बजे तक
राशि के अनुसार करे प्रभु श्रीराम का पाठ
मेष- श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ
वृष- श्रीराम स्तुति का पाठ
मिथुन- इंद्रकृत रामस्त्रोत का पाठ
कर्क- श्रीरामाष्टक का पाठ
सिंह- श्रीसीता रामाष्ट्कम का पाठ
कन्या- श्रीराम मंगलाशासनम का पाठ
तुला- श्रीराम प्रेमाष्ट्कम का पाठ
वृश्चिक- श्रीराम चंद्राष्ट्कम का पाठ
धनु- जटायुकृत श्री रामस्त्रोत का पाठ
मकर- आदित्य हृदय स्त्रोत के साथ श्री रामरक्षा स्त्रोत कवच का पाठ
कुंभ- सुंदरकांड के साथ श्रीराम रक्षा कवच का पाठ
मीन- रामचरित मानस के अयोध्या व बालकाण्ड का पाठ