पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग, मुख्यमंत्री पर लगाएं गंभीर आरोप
पटना।पटना शहर में जल प्रलय के बाद सरकार के संवेदनहीनता को लेकर कभी नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राज्य के कद्दावर नेता एवं बिहार नव निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह ने प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने वर्तमान सरकार को पूरी तरह से विफल बताते हुए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में हुए किसानों के क्षति को मद्देनजर रखते हुए सभी किसानों को 25000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिए पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह तथा पूर्व सांसद डॉ अरुण कुमार बिहार नव निर्माण मोर्चा की ओर से आज एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि जलप्रलय के 15 दिन बीत जाने के बावजूद आज भी पटना के बहुत सारे इलाकों में जलजमाव की स्थिति यथावत बनी हुई है।विकास का दावा करने वाली सरकार की मशीनरी ठप्प पड़ गई है।इतना ही नहीं राहत और बचाव कार्य के नाम पर प्रशासनिक महकमे में खुलेआम लूट मची हुई है।उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकारी तंत्र राहत के नाम पर सिर्फ औपचारिकता को निभा रहा है।पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह एवं पूर्व सांसद अरुण कुमार ने पटना शहर में बढ़ रहे डेंगू मरीजों की संख्या पर भी चिंता जताई है।उन्होंने बताया कि डेंगू महामारी का रूप ले चुका है।इसके बावजूद राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग निठल्ली बैठी हुई है। उन्होंने सरकार से मांग किया कि स्वास्थ्य विभाग को चलंत दस्ता गठित कर पूरे पटना शहर के गली मोहल्लों में युद्ध स्तर पर डेंगू के विरुद्ध अभियान चलाना चाहिए।उन्होंने पटना के झुग्गी झोपड़ी बस्तियों तथा छोटे मकानों में रहने वाले गरीबों को 3 महीने का राशन तत्काल मुहैया कराने की भी मांग की।पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री अधिकारियों के साथ हाई प्रोफाइल बैठक कर जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। उन्होंने आश्चर्य जताया कि यह कैसा लोकतंत्र है,जहां इतने बड़े आपदा की स्थिति में भी होने वाले बैठक में जनप्रतिनिधियों को बाहर रखा गया। उन्होंने पटना जल प्रलय के कारणों की जांच निगरानी विभाग के तकनीकी सेल से कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि आज पूरे बिहार में हाहाकार मचा हुआ है ऐसी नाजुक स्थिति में भी अगर राज्य सरकार अपनी संवेदनशीलता का परिचय नहीं देती है तो बिहार नवनिर्माण मोर्चा एस के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन का शुरुआत करेगा।