February 7, 2025

शिक्षा विभाग के खिलाफ राज्य के प्रोफेसरों ने खोला मोर्चा, विश्वविद्यालयों में काली पट्टी लगाकर किया काम

पटना। शनिवार को राज्य के सभी कॉलेजों के प्रोफेसरों ने शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया। सभी प्रोफेसर ने शनिवार का शैक्षणिक कार्य काला पट्टी लगाकर पूर्ण किया और शिक्षा विभाग के प्रति अपना विरोध जताया। बताया जा रहा है कि मीडिया में बयानबाजी के कारण फुटाब के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर कन्हैया बहादुर सिंह और महासचिव सह विधान पार्षद प्रोफेसर संजय कुमार सिंह के वेतन और पेंशन पर रोक लगाई गई है। जिसके विरोध में यह निर्णय लिया गया। वैसे तो विरोध के कई कारण हैं, जिसमें एक प्रमुख कारण यह भी रहा। फुटाब का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा बिहार के संपूर्ण शिक्षा जगत को तानाशाही कार्यशैली से संचालित करने और लगातार अव्यवहारिक, अपमानजनक, असंवैधानिक एवं नियम विरुद्ध आदेश जारी किए जाने से उत्पन्न स्थिति के विरोध में यह निर्णय लिया गया। संघ के महासचिव संजय कुमार सिंह ने कहा है कि जेपी आन्दोलन और आपातकाल के गर्भ से निकले नेताओं लालू प्रसाद यादव और महागठबंधन सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फुटाब अपील करती है कि बिहार के शिक्षा जगत को एक अघोषित आपातकाल की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। वही महासचिव सह विधान पार्षद संजय कुमार सिंह ने सरकार से पूछा है कि सरकार द्वारा यह तय किया जाए कि एक अपर मुख्य सचिव को अपने विभागीय मंत्री से भी अधिक अधिकार कैसे प्राप्त है? बगैर मंत्री के अनुमोदन के निर्गत अधिसूचनाएं कानूनी रूप से वैध नहीं हैं, क्योंकि न मंत्री अपने आप में सरकार हैं और न विभागीय अधिकारी। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा हाल में जारी आदेशों मसलन संघ गठन उसकी सदस्यता ग्रहण, शिक्षकों को प्रतिदिन 5 वर्ग संचालन। उसे पूरा करने के लिए समीप के महाविद्यालय में शेष कक्षा लेने अन्यथा एक दिन की वेतन कटौती करने, इसका विरोध करने वाले शिक्षक नेताओं/शिक्षकों के वेतन पेंशन पर रोक लगाने और दंडित करने वाले तुगलकी आदेशों का संघ पुरजोर विरोध करता है। वही फुटाब कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि सरकार सभी गैर संवैधानिक, अधिनियम एवं परिनियम विरोधी दंडात्मक आदेशों को वापस ले। इन तुगलक की फरमानों के विरोध में सभी कॉलेज एवं विश्वविद्यालय शनिवार को प्रोफेसरो ने काला पट्टी लगाकर विरोध जताया। यह निर्णय परीक्षा एवं मूल्यांकन कार्यों को प्रभावित नहीं करेगा। अगर सरकार इसके बावजूद तमाम असंवैधानिक निर्देशों को वापस नहीं लेती है तो आगे आंदोलन की वृहद रूप रेखा तय की जाएगी।

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