December 16, 2024

BIHAR : अब MDR TB के मरीजों का प्राइवेट अस्पतालों में भी होगा इलाज

Secondary tuberculosis infection and close-up view of Mycobacterium tuberculosis bacteria, the causative agent of tuberculosis. Computer illustration showing small-sized solid nodular mass located in the upper lobe of right lung near lung apex.

* प्राइवेट अस्पतालों और स्वयंसेवी संगठनों से मांगे गए सुझाव
* सुझावों के आधार पर लिए जाएंगे निर्णय, जून तक लागू होने की संभावना


पटना। अब बिहार में मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के मरीजों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में भी हो सकेगा। राज्य सरकार ने इस दिशा में कवायद शुरू कर दी है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो जून से प्रदेश के कई जिलों के निजी अस्पतालों में एमडीआर टीबी मरीजों को इलाज उपलब्ध होने लगेगा। इस संबंध में राज्य टीबी पदाधिकारी डॉ. बीके मिश्रा ने कहा कि 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। एमडीआर टीबी मरीजों के लिए इलाज को और आसान बनाने की प्रक्रिया चल रही है, इसे लेकर प्राइवेट अस्पतालों और स्वयंसेवी संगठनों से सुझाव मांगे गए हैं। सुझावों के आधार पर एमडीआर टीबी मरीजों के इलाज को लेकर निर्णय लेने में सहूलियत होगी।
दवा का पूरा कोर्स करना जरुरी
प्रदेश में 2021 में 1 लाख 32 हजार 145 नए टीबी मरीजों की पहचान हुई है। इनमें से 61 हजार 916 की सरकारी और 70 हजार 229 की निजी अस्पतालों में पहचान की गई। 2025 तक देश से टीबी को जड़ से खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार पूरा प्रयासरत है। मरीजों को मुफ्त में दवा से लेकर पोषण के लिए हर माह भत्ता भी दे रही है। अब टीबी के मरीजों के लिए सप्ताह में तीन दिन के स्थान पर रोज खुराक वाली नई दवा आ गई है। हालांकि कोर्स छह महीने का ही है। सरकार की इतनी कोशिश के बाद भी कई मरीज दवा का कोर्स पूरा नहीं करके बीमारी को गंभीर बना लेते हैं और वे एमडीआर टीबी के मरीज बन जाते हैं। इसका इलाज काफी जटिल, महंगा और ठीक होने का प्रतिशत भी कम होता है।
एमडीआर टीबी के मरीजों के उपचार की नयी पहल
अब एमडीआर टीबी के मरीजों को इंजेक्शन नहीं दिया जाता है बल्कि बीडाक्विलिन दवा से इलाज किया जाता है। यह दवा सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दी जा रही है जबकि निजी अस्पताल व कैमिस्टों को नहीं दी जा रही है। प्रदेश में सिर्फ आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, भागलपुर, गया, दरभंगा और मुजफ्फरपुर मेडिकल कालेज अस्पतालों में नोडल एमडीआर टीबी सेंटर ही संचालित हैं। प्राइवेट अस्पतालों में एमडीआर टीबी का इलाज नहीं होता है। दूरी और अन्य वजहों के कारण कई एमडीआर टीबी के मरीज सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने नहीं आ पाते हैं, जिसके कारण असमय मौत हो जाती है। राज्य सरकार ने एमडीआर टीबी मरीजों के इलाज को सरल और बेहतर बनाने के लिए प्राइवेट अस्पतालों को जोड़ने का फैसला किया है। सरकार के निर्देश पर राज्य स्वास्थ्य समिति ने इमिटेशन फॉर एक्सप्रेशन आॅफ इंट्रेस्ट (ईओआई) मांगा है। प्राइवेट अस्पतालों और स्वयंसेवी संगठनों से एमडीआर टीबी मरीजों के इलाज के संबंध में 29 अप्रैल तक आवेदन करने और 5 मई तक सुझाव देने को कहा है।

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