गांधी जयंती पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने बापू को दी श्रद्धांजलि, लाल बहादुर शास्त्री को भी किया नमन
- उपराष्ट्रपति, राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने बापू को किया याद, नम आंखों से दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली। महात्मा गांधी की 155वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और अन्य कई गणमान्य व्यक्तियों ने नई दिल्ली स्थित राजघाट पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। महात्मा गांधी की जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर विशेष सम्मान के साथ मनाया जाता है, क्योंकि वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा करते हुए महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने गांधीजी के सत्य, सद्भाव और समानता के सिद्धांतों के महत्व पर जोर दिया और कहा कि बापू के आदर्श आज भी देशवासियों को प्रेरित करते हैं। महात्मा गांधी, जिन्हें “राष्ट्रपिता” के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह को अपने प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, जिससे ब्रिटिश हुकूमत को झुकने पर मजबूर होना पड़ा। उनका जीवन और उनका संघर्ष एक प्रेरणा का स्रोत है जो आज भी हमें सिखाता है कि सच्चाई और धैर्य के साथ किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ भी संघर्ष किया और फिर भारत लौटकर यहां स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। उनके मार्गदर्शन में हुए विभिन्न आंदोलनों जैसे असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन ने देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई। गांधीजी ने हमेशा समाज में व्याप्त छुआछूत, भेदभाव और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने महात्मा गांधी के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी श्रद्धांजलि दी। 2 अक्टूबर को ही शास्त्री जी की जयंती भी मनाई जाती है। प्रधानमंत्री ने अपने पोस्ट में शास्त्री जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने अपना जीवन देश के जवानों, किसानों और स्वाभिमान को समर्पित किया। लाल बहादुर शास्त्री को उनकी सादगी, ईमानदारी और दृढ़ नेतृत्व के लिए जाना जाता है। वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने और 1964 से 1966 तक इस पद पर रहे। उनका प्रसिद्ध नारा “जय जवान, जय किसान” आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है और भारतीय समाज के दो प्रमुख स्तंभों—जवान और किसान—को सम्मान देने का प्रतीक है। शास्त्री जी का जीवन सादगी और देशभक्ति का एक उदाहरण था। वे महात्मा गांधी की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में उन सिद्धांतों को अपनाया। शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह बेहद साधारण परिवार से थे, लेकिन अपनी योग्यता और कर्तव्यपरायणता के बल पर उन्होंने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, उन्होंने ताशकंद में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। लेकिन 11 जनवरी 1966 को, इस समझौते के तुरंत बाद, ताशकंद में ही उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु एक रहस्य बनी हुई है और आज भी कई लोग उसकी सच्चाई जानने की मांग करते हैं। महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री दोनों ही भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण नेता थे जिन्होंने देश को सही दिशा में प्रेरित किया। गांधीजी ने जहां हमें अहिंसा और सत्य का मार्ग दिखाया, वहीं शास्त्रीजी ने हमें सादगी और कर्मठता की प्रेरणा दी। दोनों ही नेताओं का जीवन हमें यह सिखाता है कि राष्ट्र की सेवा और उसके लिए बलिदान का महत्व क्या होता है। आज गांधी जयंती और शास्त्री जयंती के अवसर पर, पूरा देश इन महान नेताओं के योगदान को याद करता है और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेता है।