मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने 887 छात्रों को दी डिग्री
- मुख्यमंत्री बोले- हम जब तक जिंदा रहेंगे, भाजपा के नेताओं के साथ दोस्ती बनी रहेगी
पटना/मोतिहारी। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार चंपारण की धरती पर पहुंची। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अरलेकर ने राष्ट्रपति का हेलीपैड पर स्वागत किया। सुबह 10।05 में राष्ट्रपति का हेलीकाप्टर उतरा। इसके बाद वह 10:30 में प्रेक्षागृह पहुंचीं। अब वह दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुईं हैं। तस्वीर के माध्यम से देख सकते हैं कि राष्ट्रपति प्रथम दीक्षा समारोह में मंच पर पहुंच चुकी हैं। महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में राज्यपाल ने अंगवस्त्र पहनाकर राष्ट्रपति का अभिनंदन किया। इसके बाद महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति संजय श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया। वहीं, केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति ने पास आउट हुए विद्यार्थियों को सदाचार व मानव मूल्यों को बरकरार रखने की दिलाई शपथ। इसके अलावा पंजीकृत 887 विद्यार्थियों को भी डिग्री दी गई। इसके बाद 11: 55 बजे पुलिस लाइन के हेलीपैड पर पंहुचा और पटना के लिए प्रस्थान किया। राष्ट्रपति की यात्रा को लेकर शहर को अति सुरक्षा घेरे में ले लिया गया है। इसके अलावा, राष्ट्रपति मुर्मू, आज गुरुवार को एम्स, पटना के प्रथम दीक्षा समारोह की मुख्य अतिथि बनी। वहीं शुक्रवार को गया टिकारी स्थित पंचानपुर में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में भाग लेंगी। इससे पहले वे बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगी।
मुख्यमंत्री बोले- हम जब तक जिंदा रहेंगे, भाजपा के नेताओं के साथ दोस्ती बनी रहेगी
इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने भाजपा प्रेम को प्रदर्शित किया। नीतीश ने गुरुवार को कहा कि वे जब तक जीवित रहेंगे तब तक बीजेपी के लोगों से उनकी दोस्ती रहेगी। उन्होंने ये बातें मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय (एमजीसीयू) के प्रथम दीक्षांत समारोह के दौरान कही। एमजीसीयू की स्थापना का इतिहास बताते हुए सीएम नीतीश ने कांग्रेस को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 में केंद्र ने कई राज्यों में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करने की योजना बनाई। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। तब बिहार में एनडीए की सरकार थी। नीतीश ने कहा कि उस समय बिहार में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने की बात हुई। उन्होंने केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को सुझाव दिया कि मोतिहारी में इसकी स्थापना की जाए क्योंकि यह महत्मा गांधी की कर्मभूमि रही है। यहीं से उन्होंने भारत में स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई की शुरुआत की। सीएम नीतीश ने कहा कि उस सरकार के केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्री से उन्होंने कई बार मुलाकात की। उनके घर में खाना तक खाया। लेकिन शिक्षा मंत्री ने गया में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापना को मंजूरी दी। नीतीश की मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय की मांग को लगातार टाला गया। नीतीश ने बताया कि जब केंद्र में वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी तब मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को मंजूरी दी गई। फिर 2016 से यहां अन्य कार्य आरम्भ हुआ। उन्होंने कहा कि वे चंपारण को लेकर हमेशा प्राथमिकता देते आए हैं। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय नाम भी उन्हीं का सुझाया हुआ था जिसे स्वीकार किया गया। उन्होंने कहा कि वे जब तक जीवित रहेंगे तब चंपारण की इज्जत करेंगे। इसी दौरान सीएम नीतीश ने वहां बैठे भाजपा के नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे जब तक जीवित रहेंगे तब तक उनलोगों (बीजेपी) से दोस्ती रहेगी। साथ ही उन्होंने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए 300 एकड़ भूखंड जल्द से जल्द उपलब्ध कराने को लेकर अधिकारियों को त्वरित निष्पादन करने का निर्देश दिया। वहीं दीक्षांत समारोह में उपस्थित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अनुरोध किया कि वे पुनः बिहार आएं। विशेषकर महात्मा गांधी की कर्मस्थली पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में उन तमाम जगहों को देखें जहाँ गांधी ने काम किया था।