बिहार में 2025 की जनगणना की तैयारी शुरू: डिजिटल मैपिंग का काम अंतिम चरण में, तारीखों का ऐलान जल्द
- जनगणना में 5 लाख कर्मी करेंगे काम…डिजिटल फॉर्मेट में मिलेगी जानकारी…निरीक्षण जल्द
पटना। बिहार में 2025 में होने वाली जनगणना की तैयारी शुरू हो गई है। अभी डिजिटल प्रगणक ब्लॉक (ईबी) बनाने का काम चल रहा है। जनगणना कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक राज्य के जिला मुख्यालयों में शहरी क्षेत्र का तेजी से विस्तार हुआ है। 14 साल पहले हुई जनगणना की तुलना में शहरी क्षेत्रों में ईबी की संख्या बढ़ेगी। अब तक शहरी क्षेत्र में डिजिटल मैपिंग के जरिए ईबी बनाने का काम करीब 85% पूरा हो गया है। ग्रामीण इलाकों में तेजी से पंचायत स्तरीय वार्ड में ईबी गठन का काम हो रहा है। एक बार डिजिटल मैपिंग के जरिए ब्लॉक का गठन होने के बाद जगह का निरीक्षण शुरू होगा ताकि, किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना नहीं रहे। राज्य में होने वाली जनगणना में 5 लाख कर्मी लगेंगे। आंकड़े के मुताबिक, बिहार में बीते 15 साल में जितनी आबादी बढ़ी है। उससे कम दुनिया के 160 देशों की आबादी है। वर्ष 2011 में जनगणना हुई थी। इसको ही अधार मानकर गणना ब्लॉक गठन का काम चल है। शहरी इलाके में ईबी की संख्या बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्र के मुकाबले कम बढ़ोतरी हुई है। एक गणना ब्लॉक में 100 से 150 घरों को शामिल किया जाएगा। एक गणना प्रगणक को चार से 5 ईबी में जनगणना की जिम्मेवारी होगी। इसको डिजिटल फॉर्म में अपडेट किया जाएगा। देश में पहली बार 1881 में जनगणना हुई थी। 1881 से 2011 तक प्रत्येक 10 साल पर जनगणना होती रही। 2021 में जनगणना होनी थी। लेकिन, कोविड के कारण नहीं हुई।जाति आधारित गणना के अनुसार बिहार की जनसंख्या 13.07 करोड़ है। इसमें करीब 5 लाख कर्मियों को लगाया गया था। जनगणना में महिला-पुरुष, युवा-बच्चे की जानकारी मिलने के साथ आर्थिक स्थिति की जानकारी मिलेगी। बिहार में बीते 15 वर्षों में जितनी आबादी बढ़ी है। उससे कम दुनिया के 160 देशों की आबादी है। अगर बिहार एक देश होता तो दुनिया में आबादी की दृष्टि से 10वें नंबर पर होता। सबसे अधिक आबादी वाले देशों में 10वें स्थान पर मेक्सिको है जिसकी आबादी 13.13 करोड़ है। नौवें पर रूस है जिसकी आबादी बिहार से करीब 1.34 करोड़ अधिक है। देश में पहली बार 1881 में जनगणना हुई थी। उसे बाद हर 10 साल पर जनगणना होती है। 1931 तक की जनगणना में जातिवार आंकड़े भी जारी होते थे। 1941 की जनगणना में जातिवार आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन इन्हें जारी नहीं किया। आजादी के बाद सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का डेटा जारी करने का फैसला किया। इसके बाद से बाकी जातियों के जातिवार आंकड़े कभी पब्लिश नहीं हुए।